फैक्ट चेक: किसान आंदोलन की वजह से ऑक्सीजन में देरी का दावा फर्जी!

 

कोराना के कहर के बीच अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत हो गई है। मरीज ऑक्सीजन के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अस्पतालों में कुछ ही घंटों की ऑक्सीजन बाकी रहने के बाद केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई तो इस मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति शुरू हो गई। ऑक्सीजन सप्लाई में देरी का ठीकरा किसान आंदोलन पर फोड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं। असलीभारत.कॉम के फैक्ट चैक में इन दावों का पर्दाफाश हुआ है।

बीते दो-तीन दिनों से यह झूठ बड़ी तेजी से फैलाया जा रहा है कि दिल्ली बॉर्डर पर किसान आंदोलन के चलते ऑक्सीजन सप्लाई में बाधा हो रही है। यह खबर सबसे पहले नेटवर्क18 के पत्रकार अमन शर्मा ने सरकारी सू्त्रों के हवाले से फैलायी। दावा किया गया कि दिल्ली बॉर्डर पर किसान के जाम की वजह से ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली फर्म के वाहनों को काफी घूमकर आना पड़ रहा है। सरकारी सूत्रों पर आधारित इस खबर को हजारों लागों ने शेयर किया।

इस ट्वीट के बाद एक सत्ता परस्त पोर्टल ने खबर छापी कि ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर ऑक्सीजन पहुंचाने में देरी के लिए दिल्ली बॉर्डर पर किसान आंदोलन को वजह बताया है। कंपनी का दावा है कि मोदीनगर यूनिट से दिल्ली के अस्पतालों तक पहुंचने के लिए 100 किलोमीटर की ज्यादा चलना पड़ रहा है। हैरानी की बात है कि यह खबर जिस पत्र के आधार पर लिखी गई, पूरी खबर में उसे कहीं नहीं छापा।     

जब असलीभारत.कॉम ने किसान आंदोलन की वजह से ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधा के दावे की पड़ताल की तो यह दावा हवा-हवाई निकला। पहली बात तो यह है कि ऑक्सीजन को लेकर सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि देश के कई शहरों में हाहाकार मचा है। लखनऊ, अहमदाबाद व अन्य शहरों में जहां किसान सड़कों पर नहीं हैं, वहां भी मरीज ऑक्सीजन के लिए तड़प रहे हैं। जाहिर है कि ऑक्सीजन की किल्लत देश के कई शहरों में है। इसके लिए दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसानों को जिम्मेदार ठहराना अनुचित है।

हालात इतने बेकाबू हैं कि अस्पतालों को ऑक्सीजन के लिए सरकार से गुहार लगानी पड़ रही है। मैक्स हॉस्पिटल को दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा तो अपोलो हॉस्पिटल ग्रुप की ज्वाइंट एमडी डॉ. संगीता रेड्डी ने हरियाणा पुलिस पर ऑक्सीजन टैंकर को रोकने का आरोप लगाया है।

ऑक्सीजन को लेकर राज्यों के बीच शर्मनाक खींचतान चल रही है। हरियाणा के मंत्री स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने तो दिल्ली सरकार पर ऑक्सीजन टैंकर लूटने का आरोप लगा डाला। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा कोटा बढ़ाये जाने के बावजूद हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार ऑक्सीजन की सप्लाई रोक रही हैं। कल दिल्ली को 378 MT की जगह सिर्फ 177 MT ऑक्सीजन मिली। स्पष्ट है कि ऑक्सीजन की समस्या मांग और आपूर्ति में अंतर और राज्यों के बीच तालमेल न होने के कारण हो रही है। केंद्र सरकार के स्तर पर प्लानिंग की कमी भी बड़ा कारण है। किसान किसान आंदोलन को इसमें बेवजह घसीटा जा रहा है।

जहां तक किसानों द्वारा ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित करने के आरोप का सवाल है, उसकी सच्चाई गूगल मैप बता देगा। असल में मोदीनगर से दिल्ली जाने के लिए गाजीपुर बॉर्डर जाने की जरूरत ही नहीं है। मोदीनगर से शहादरा या भजनपुरा होते हुए दिल्ली का सीधा रास्ता हैैै। दिल्ली में पश्चिम विहार के जिस अस्पताल तक ऑक्सीजन पहुंचानी थी, वह मोदीनगर से करीब 60 किलोमीटर दूूर है। फिर टैंकर को 100 किलोमीटर एक्सट्रा कैसे चलना पड़ा? ऐसी खबरें छापने वालों को वह रूट मैप दिखाना चाहिए। सवाल यह भी उठता है कि सीधा रास्ता छोड़कर ऑक्सीजन टैंकर गाजीपुर बॉर्डर क्यों भेजे जा रहे हैं?

अगर मान भी लें कि टैंकर को गाजीपुर बॉर्डर से ही दिल्ली जाना पड़ा, तब भी किसानों द्वारा ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधा पहुंचाने की बात सही नहीं है। क्योंकि किसानों ने पहले दिन से ही एंबुलेस और आपात सेवाओं के लिए साइड में रास्ता खुला छोड़ रखा था। किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि किसानों ने एक भी एंबुलेंस या जरूरी सेवा को नहीं रोका। बल्कि 26 जनवरी के बाद दिल्ली पुलिस ने खुद ही कीलें और बैरीकेड लगाकर एंबुलेंस लेन बंद करा दी थी। किसान लगातार रास्ता खोलने की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए ऑक्सीजन की कमी का ठीकरा किसानों के सिर फोड़ने का प्रयास कर रही है।  

वास्तविकता यह है कि दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर किसान हाईवे के किनारे बैठे हैं जबकि बाकी लेन पुलिस ने खुद बंद करायी हैं। पुलिस चाहे तो किसान आंदोलन के बावजूद वाहनों की आवाजाही सामान्य हो सकती है, क्योंकि अब वहां बहुत कम किसान मौजूद हैं। सिंधू और टिकरी बॉर्डर पर भी किसानों से बातचीत कर सरकार आवश्यक सेवाओं के लिए ग्रीन कॉरिडोर बना सकती थी। लेकिन ऐसा करने की बजाय पुलिस ने खुद की भारी-भरकम बैरीकेड लगाकर रास्ते बंद कर दिये।   

इस बीच, किसान आंदोलन की वजह से ऑक्सीजन आपूर्ति बाधित होने के दावे की पोल खोलने वाले वीडियो सामने आए हैं। दिल्ली के जीटीबी हॉस्पिटल को ऑक्सीजन पहुंचाने वाले टैंकर के ड्राइवर ने पत्रकार संदीप सिंह को बताया कि किसानों ने उसे नहीं रोका, बल्कि ऑक्सीजन टैंकर को देखकर किसानों ने रास्ता खाली करवा दिया था। यानी, किसानों के धरने की वजह से ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होने का दावा गलत है।

यहां बड़ा सवाल यह है कि मोदीनगर से दिल्ली जाने के लिए ऑक्सीजन टैंकर को गाजीपुर बॉर्डर घूमाकर जाने की क्या आवश्यकता थी? जबकि मोदीनगर से दिल्ली का सीधा रास्ता है। इस बात को इस वीडियो के जरिये समझिये

उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि देश में ऑक्सीजन की कमी को किसान आंदोलन से जोड़ना सरासर गलत है। दिल्ली बॉर्डर के रास्ते किसानों ने नहीं बल्कि पुलिस ने बंद किये हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता सिंधु बॉर्डर पर भी जरूरी सेवाओं के लिए जीटी करनाल रोड़ का एक हिस्सा खोलने को तैयार हैं। वहां भी दिल्ली पुलिस ने बैरिकेड लगाए हुए हैं। मोदीनगर से दिल्ली जाने के लिए तो गाजीपुर बॉर्डर जानेे की जरूरत ही नहीं है। मोदीनगर से दिल्ली की दूरी भी इतनी नहींं है कि 100 किलोमीटर का चक्कर फालतू लगाना पड़े।

शर्मनाक बात है कि लोग ऑक्सीजन के लिए तरस रहे हैं। जब देश में ऑक्सीजन प्लांट लगने चाहिए तब सरकारी सूत्रों के जरिये किसानों के खिलाफ फर्जी खबरें प्लांट करवायी जा रही हैं।