हरियाणा में ई-नाम मंडियों का बुरा हाल, धूल फांक रही हैं लाखों की मशीनें!
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देशभर में किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए बहुप्रचारित ई-ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ई-नाम (इलेक्ट्रॉनिक मंडी) हरियाणा में अपने उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर रहा है क्योंकि किसान इसके माध्यम से अपने फल, सब्जियां और फसल नहीं बेच पा रहे हैं. हरियाणा की अधिकतर ई-नाम मंडियां बंद पड़ी हैं और उनको ऑपरेट करने के लिए स्टाफ भी नहीं है.
कृषि विशेषज्ञ रमनदीप मान और उनके साथ किसान संगठनों ने कई ई-नाम मंडियों का दौरा किया, जिसके बाद उन्होंने बंद पड़ी ई-नाम मंडियों की फोटोज और वीडियोज भी जारी की हैं. रमनदीप ने हमें बताया, “हम हरियाणा की कई ई-नाम मंडियों में गए थे, उनमें लाखों की मशीनें बंद पड़ी हैं और कबूतरों ने फसल टेस्टिंग लैब्स में घोंसलें बना रखे हैं. जमीन पर कुछ भी चालू नहीं है.”
ई-नाम मंडियों का प्रयोग किसानों की उपज का परीक्षण करने, उपज को ग्रेड देने और फिर ई-नाम पोर्टल पर इस उपज की नीलामी करने के लिए किया जाना था. ई-नाम पोर्टल के माध्यम से सैकड़ों मंडियां एक-दूसरे से जुड़ी हुई थीं.
रमनदीप मान ने गांव सवेरा को बताया, “जब किसान अपनी उपज बेचने के लिए ई-नाम मंडियों में जाते हैं तो ई-नाम के अधिकारी उन्हें वापस भेज देते हैं, क्योंकि न तो उनके पास पूरा स्टाफ है और न ही टेस्टिंग लैब वाले कर्मचारी. लैब में किसानों की फसल के नमूने का परीक्षण करने की बजाय, उन्हें अपनी उपज को खुली मंडी में बेचने के लिए कहा जाता है. स्थानीय खुदरा बाजार में किसानों को उनकी उपज का अच्छा दाम ही नहीं मिल पाता.”
ई-नाम एक पैन इंडिया इलेक्ट्रॉनिक व्यापार पोर्टल है, जो कृषि से जुड़ी उपज के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार का निर्माण करने में मौजूदा APMC मंडी का एक प्रसार है. इस पोर्टल के माध्यम से किसान अपनी फसल को कहीं से भी ऑनलाइन बेच सकते हैं और फसल का भुगतान डायरेक्ट अपने बैंक खाते में प्राप्त कर सकते हैं.
हालांकि रमनदीप मान ने ई-नाम मंडियों में समस्या निवारण में होने वाली देरियों के बारे में भी हमें अवगत करवाया. उनका कहना था कि ई-नाम मंडी में सबसे बड़ी कमी एक मजबूत “विवाद समाधान” तंत्र का अभाव है. एक व्यापारी को अपने वादे के अनुसार माल नहीं मिल रहा है, या यदि किसानों या व्यापारियों को इस मोड के माध्यम से भुगतान में समस्या है, तो विश्वसनीय और समय पर निवारण होना चाहिए.
हरियाणा ई-नाम मंडी सिस्टम अपनाने वाले पहले राज्यों में से एक था और इसके तहत कृषि उपज विपणन समितियों को नेटवर्क में जोड़ा गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल, 2016 को ई-नाम का शुभारंभ किया था. हरियाणा में, परियोजना करनाल और ऐलनाबाद अनाज मंडी से शुरू की गई थी. अभी तक देश की 1000 अनाज मंडियों में e-NAM शुरू किया जा चुका है, जिनमें से 181 हरियाणा में हैं.
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