मंगलवार, 06 जून 2023
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भारत में कोविड-19: मामले, मौतें और टीकाकरण


A healthcare worker wearing personal protective equipment (PPE) takes a swab from a migrant worker, who returned to Delhi from his native state, for a rapid antigen test at a bus terminal, amidst the coronavirus disease (COVID-19) outbreak in New Delhi, India, August 17, 2020. REUTERS/Adnan Abidi

यह स्पष्ट है कि भारत में और कई अन्य देशों में कोविड-19 के आंकड़े त्रुटिपूर्ण हैं। वर्ष 2021 में, भारत ने दुनिया के किसी भी देश की तुलना में सबसे अधिक संख्या में कोविड-19 से संबंधित मौत दर्ज की जबकि इसके आधिकारिक आंकड़े शायद कम करके आंके गए होंगे।

भारत में कोविड-19 की तीसरी बड़ी लहर के रूप में इसके ओमाइक्रोन वेरिएंट का प्रसार हुआ है, जिसमें मामलों की संख्या तो दूसरी लहर से अधिक है, लेकिन इससे बीमारी का खतरा औसतन कम गंभीर रहा है। इस लेख में, कुंडू और गिसेलक्विस्ट देश में ओमाइक्रोन-पूर्व के कोविड-19 के मुख्य पैटर्न और रुझानों को स्पष्ट करने के लिए कई राष्ट्रीय प्रतिनिधि डेटा स्रोतों को संकलित करते हुए विभिन्न क्षेत्रों में इसके अंतर-प्रभावों को दर्शाते हैं, और चर्चा करते हैं कि महामारी प्रतिक्रिया में किस प्रकार से सुधार किया जा सकता है।

दुनिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत में, ओमाइक्रोन वेरिएंट के परिणामस्वरूप देश में कोविड-19 की तीसरी बड़ी लहर आई। देश में कोविड-19 के संक्रमण की डेल्टा वेरिएंट की दूसरी लहर की तुलना में, ओमाइक्रोन वेरिएंट से संक्रमण के अधिक मामले सामने आए, लेकिन इनमें तुलनात्मक रूप से हल्के लक्षण पाए गए। फिर भी, हम वायरस के प्रसार के कई महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे कि इसके पैटर्न और संक्रमण के रुझान के बारे में अनभिज्ञ हैं, जो यह समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं कि क्यों कुछ क्षेत्र दूसरों की तुलना में अधिक प्रभावित होते हैं, और महामारी प्रतिक्रिया में किस प्रकार से सुधार किया जा सकता है।

हाल के एक अध्ययन1 (कुंडू और गिसेलक्विस्ट 2020) में, हम भारत में ओमाइक्रोन-पूर्व के समय अनुभव किये गए मुख्य पैटर्न और रुझानों को उजागर करने हेतु पांच प्रमुख मानचित्र और आरेख प्रस्तुत करने के लिए उपलब्ध सीमित मानक स्रोतों- जिला स्तरीय घरेलू सर्वेक्षण (डीएलएचएस-4; 2012-13), भारत की छठी आर्थिक जनगणना (2013-14), 2011 (जनसंख्या) की भारत की जनगणना (पीसी) और covid19india.org2 का उपयोग करते हैं। ये अनुभव हमें डेल्टा लहर से मिली सबक के नजरिये से सोचने में और वर्तमान में भारत में महामारी की प्रतिक्रिया और परिणामों पर वे कैसे लागू हो सकते हैं, इस पर विचार करने में सहायक हो सकते हैं।

कोविड-19 की लहरें और लॉकडाउन

मामले और मौतें- दोनों के संदर्भ में, कोविड-19 की पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर का चौंका देने वाला पैमाना चित्र 1 में दर्शाया है। मई 2021 के अंत में दूसरी लहर के चरम पर मानक डेटा स्रोतों3 के अनुसार, प्रतिदिन प्रति 100,000 लोगों में लगभग 30 मामले थे।

चित्र 1. कोविड-19 के दैनिक मामले और मौतें, तथा सरकार की प्रतिक्रिया (2020-21)

स्रोत: ऑक्सफोर्ड कोविड-19 गवर्नमेंट रिस्पांस ट्रैकर।

पहली और दूसरी लहरों की तुलना करने से यह स्पष्ट होता है कि डेल्टा वेरिएंट मूल वायरस की तुलना में अधिक संक्रामक और अधिक विषाणु-जनित था, जिससे अधिक मामले दर्ज हुए और मौतें हुईं। अधिकांश रिपोर्टों के अनुसार, डेल्टा की तुलना में ओमाइक्रोन वेरिएंट के बहुत अधिक संक्रामक होने की संभावना है, लेकिन यह बहुत कम विषाणु-जनित होता है। यह ध्यान देने-योग्य होगा कि ओमाइक्रोन के बाद की संख्या कैसे सामने आती है, विशेष रूप से यह हमें महामारी को कम करने के प्रयासों के बारे में बता सकता है, जिसमें बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान4 की सापेक्ष सफलता भी शामिल है।

इन लहरों के पैमाने को समझने के लिए लॉकडाउन एक और महत्वपूर्ण कारक है। भारत ने विशेष रूप से 25 मार्च और 30 मई 2020 के बीच की अवधि में दुनिया के सबसे कठोर लॉकडाउन में से एक लगाया। ऑक्सफोर्ड कोविड-19 गवर्नमेंट रिस्पांस ट्रैकर (OxCGRT) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के लॉकडाउन की समय-समय पर कठोरता के बारे में चित्र-1 के निचले भाग में दर्शाया गया है। कुछ रिपोर्टों से लॉकडाउन और भारत की तुलनात्मक रूप से कम शुरुआती कोविड-19 दरों के बीच एक स्पष्ट लिंक का पता चलता है, लेकिन उक्त डेटा के बारे में हमारी समझ से पता चलता है कि इस तरह के दावे करने में अधिक सावधानी बरतनी चाहिए।

राज्यों में मामलों और मौतों में अंतर

भारतीय राज्यों में कोविड-19 के प्रभाव पर ओमाइक्रोन-पूर्व के डेटा में काफी अंतर है। आधिकारिक संख्या को देखने पर इस अंतर के बारे में एक बात सामने आती है कि अमीर राज्यों में संक्रमण और मौतों की औसत संख्या गरीब राज्यों की तुलना में अधिक दर्ज की गई है। इस बात को देखते हुए यह बहुत हैरान करने वाला है कि महामारी जैसे संकटों का सामना करने के लिए अमीर राज्यों की क्षमता अधिक है।

इससे अधिक जांच-पड़ताल की जरुरत महसूस होती है। इस साधारण संबंध के पीछे कई कारकों में से एक यह है कि क्षमता की कमी गरीब भारतीय राज्यों में कम रिपोर्टिंग (और परीक्षण) को एक बड़ी समस्या बनाती है।

चित्र 2.- भारतीय राज्यों में मामले (बाएं पैनल) और मौतें (दाएं पैनल) (पूर्ण संख्या)

स्रोत: लेखक द्वारा किया गया अनुमान covid19india.org के आंकड़ों पर आधारित है।

चित्र 3.- भारतीय राज्यों में जनसंख्या के अनुपात में मामले (बाएं पैनल) और मृत्यु (दाएं पैनल)

स्रोत: लेखक द्वारा किया गया अनुमान covid19india.org के आंकड़ों पर आधारित है।

अधिक मौतें

भारत और दुनिया में आम तौर पर महामारी पर नजर रखने और उसे समझने में गलत डेटा का होना एक बड़ी समस्या है। आधिकारिक आँकड़ों के संबंध में एक उपयोगी जाँच ‘अतिरिक्त मृत्यु दर’ है- जिसे 2020-2021 में किसी सप्ताह या महीने में मौतों की रिपोर्ट की गई संख्या के बीच के अंतर के रूप में तथा कोविड-19 से पूर्व के वर्षों में उस अवधि में हुई मौतों की अपेक्षित संख्या के रूप में मापा गया है।

हालांकि अधिक मृत्यु दर की अपरिष्कृत संख्या से हमें एक पैमाना तो मिल जाता है, लेकिन राज्यों में जनसंख्या में बड़ा अंतर होने के कारण यह कम तुलनीय है। सभी क्षेत्रों में बेहतर तरीके से तुलना करने के लिए, यहां हम ‘पी-स्कोर’ को दर्शाते हैं जिससे रिपोर्ट की गई और अनुमानित मौतों के बीच के अंतर को अनुमानित मौतों के हिस्से के रूप में मापा जा सकता है।

उदाहरण के लिए, यदि हम चित्र 4 देखें, तो मई 2021 के महीने में आंध्र प्रदेश का पी-स्कोर 400% था, जिसका अर्थ है कि बेसलाइन अवधि की तुलना में अधिक मृत्यु दर उस महीने की अनुमानित मृत्यु संख्या का चार गुना थी (2015-2019 का औसत)। सरल शब्दों में कहा जाये तो, इस तरह की अधिक मृत्यु संख्या आधिकारिक आंकड़ों में कोविड-19 मौतों की महत्वपूर्ण कमी और राज्यों में अधिक मौतों में अंतर की ओर इशारा करती है।

चित्र 4. भारत में राज्य के आधार पर अधिक मौतें

स्रोत: devdatalab.org

नोट: आधारभूत अवधि 2015-2019 के आंकड़ों का औसत है।

टीकाकरण का पैमाना और गति

भारत ने अगस्त 2021 तक ‘प्राथमिकता समूहों’ के रूप में लगभग 30 करोड़ व्यक्तियों का टीकाकरण करने के उद्देश्य से 16 जनवरी 2021 को दुनिया का सबसे बड़ा कोविड-19 टीकाकरण अभियान शुरू किया। जैसा कि चित्र 5 से पता चलता है, टीकाकरण अभियान शुरू में काफी धीमा था। फरवरी 2021 में, रिपोर्टों ने दर्शाया कि एक दिन में लगभग 400,000 जैब्स की गति से टीकाकरण किया जाये तो भारत को अपने प्राथमिकता समूहों के टीकाकरण को पूरा करने में चार साल लगेंगे। हालाँकि, बाद में जैसे ही डेल्टा लहर का प्रभाव बढ़ने लगा, 1 मार्च से भारत भर में निजी अस्पतालों के विशाल नेटवर्क के जरिये डोज (टीका) देने की गति तेज की गई। को-विन डैशबोर्ड के अनुसार अक्टूबर 2021 के मध्य तक, लगभग 50% आबादी ने एक डोज (टीका) प्राप्त किया था और 20% आबादी दोनों डोज (टीके) प्राप्त कर चुकी थी।

चित्र 5. पूर्ण (बाएं पैनल) और जनसंख्या के अनुपात में (दायां पैनल) भारत में कोविड-19 टीकाकरण

नोट: ऊर्ध्वाधर रेखा का तात्पर्य निजी अस्पतालों में टीकाकरण की शुरुआत से है।

स्रोत: covid19india.org; को-विन डैशबोर्ड।

राज्यों में टीकाकरण

राज्यों में टीकाकरण की स्थिति में काफी अंतर है (चित्र 5)। अप्रत्याशित रूप से, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे बड़े राज्यों ने कुल डोज (टीका) अधिक संख्या में दिए हैं, लेकिन इन राज्यों में जनसँख्या के संदर्भ में टीकाकरण की दर राष्ट्रीय औसत के बराबर है या उससे कम है।

चित्र 6. भारत में राज्य के आधार पर कोविड -19 टीकाकरण (अक्टूबर 2021 तक), पूर्ण (बाएं पैनल) और आनुपातिक (दाएं पैनल) संदर्भ में

स्रोत: covid19india.org; को-विन डैशबोर्ड।

निष्कर्ष

यह स्पष्ट है कि भारत में और कई अन्य देशों में कोविड-19 के आंकड़े त्रुटिपूर्ण हैं। वर्ष 2021 में, भारत ने दुनिया के किसी भी देश की तुलना में सबसे अधिक संख्या में कोविड-19 से संबंधित मौत दर्ज की जबकि इसके आधिकारिक आंकड़े शायद कम करके आंके गए होंगे। विभिन्न स्रोतों में त्रि-स्तरीय तुलना करना- उदाहरण के लिए, कोविड-19 से हुई मौतों के आधिकारिक आंकड़ों की तुलना अधिक हुई मौतों के साथ करने से वायरस के प्रसार की बेहतर अनुभव-जन्य समझ बनाने में सहायक हो सकता है। हमारे जारी कार्य में, कोविड-19 मामलों, मौतों और टीकाकरण के बारे में अपने ज्ञान के दायरे को बढाने के लिए हम गहन केस स्टडी के साथ उपरोक्त प्रकार के आंकड़ों पर ध्यान देते हैं। शोध सहयोगियों के एक समूह के साथ मिलकर काम करते हुए, हमारी पुस्तक पांडुलिपि का कार्य जारी है जिसमें बिहार, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल पर गहन अध्याय शामिल है, और सभी राज्यों के विश्लेषण में निहित हैं। हमारा उद्देश्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोविड -19 के प्रभाव में अंतर को और विशेष रूप से उप-राष्ट्रीय राज्य-स्तरीय संस्थानों और सरकारों ने महामारी और उसके प्रभाव का सामना कैसे किया इसे बेहतर ढंग से समझना है।

टिप्पणियाँ

  1. यह अध्ययन यूनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी वर्ल्ड इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स रिसर्च के साथ चल रहे शोध का हिस्सा है।
  2. हम इनमें से अधिकतर डेटा SHRUG COVID-19 प्लेटफॉर्म से प्राप्त करते हैं।
  3. अन्य स्रोत और भी उच्चतर आंकड़े दर्शाते हैं- हम इसके बारे में इस लेख में बाद में चर्चा करते हैं।
  4. 8 मार्च 2022 को रिपोर्ट किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत में 3,993 नए कोविड-19 संक्रमण दर्ज किए गए, जो पिछले 662 दिनों में सबसे कम है। वायरोलॉजिस्ट डॉ टी जैकब जॉन ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि भारत में तब तक कोई चौथी लहर नहीं आएगी जब तक कि बिलकुल अलग व्यवहार करने वाला अप्रत्याशित वेरिएंट सामने नहीं आता।

लेखक परिचय: अनुस्तुप कुंडू हेलसिंकी विश्वविद्यालय में पीएचडी उम्मीदवार और यूएनयू-वाइडर में सलाहकार हैं। रेचेल एम. गिसेलक्विस्ट एक वरिष्ठ रिसर्च फेलो और यूएनयू-वाइडर की वरिष्ठ प्रबंधन दल की सदस्य हैं।

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