कंपनियों ने कॉम्प्लेक्स उर्वरकों के दाम बढ़ाये, एनपीके का बैग डीएपी से 500 रुपये महंगा हुआ

 

रबी सीजन की बुवाई के समय किसानों को झटका देते हुए उर्वरक उत्पादक कंपनियों ने एनपीके समेत कई कॉम्पलेक्स उर्वरकों के दामों में 500 रुपये प्रति बैग (50 किलो) से  अधिक तक की बढ़ोतरी कर दी है। इसके चलते नाइट्रोजन, फॉस्फेट और पोटाश (एनपीके) के काम्प्लेक्स उर्वरक की कीमतें 1750 रुपये प्रति बैग पहुंच गई हैं। सरकारी उर्वरक कंपनी नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड (एनएफएल) और सहकारी संस्था कृभको का एनपीके (12: 32:16) का बैग 1700 रुपये का हो गया है जबकि निजी कंपनी स्मार्टकेम ने इसी अनुपात वाले एनपीके का दाम 1750 रुपये प्रति बैग कर दिया है। खास बात यह है कि देश की सबसे बड़ी उर्वरक उत्पादक सहकारी संस्था इफको के एनपीके के बैग का दाम अभी भी 1185 रुपये है और उसने कोई बढ़ोतरी नहीं की है। कंपनियों के बैग की पैंकिंग पर अंकित कीमत के साथ ही मध्य प्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ द्वारा जिला मार्केटिंग अधिकारियों को 7 अक्तूबर को भेजे गये एक पत्र में दी गई कीमतें इसकी पुष्टि करती हैं जिसमें कहा गया है कि नई कीमतें एक अक्तूबर,2021 से लागू हो गई हैं। सरकार न्यूट्रिएंट अधारित सब्सिडी (एनबीएस) तहत गैर यूरिया विनियंत्रित उर्वरकों के लिए न्यूट्रिएंट के आधार पर सब्सिडी देती है और कंपनियों को इनके दाम निर्धारित करने की छूट है। उद्योग का कहना है कि वैश्विक बाजार में कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते ही कंपनियों ने उर्वरकों की कीमतें बढ़ाई हैं। उद्योग सूत्रों का कहना है कि फॉस्फोरिक एसिड की कीमतों में 240 डॉलर प्रति टन की बढ़ोतरी हो चुकी है और उसके चलते लागत करीब 10 हजार रुपये प्रति टन बढ़ गई है। अगर सरकार ने न्यूट्रिएंट पर सब्सिडी में बढ़ोतरी नहीं की तो जल्दी ही बाकी कंपनियों को भी दाम बढ़ाने पड़ेंगे।

कंपनियों के एक अन्य एनपीके कॉम्प्लेक्स उर्वरक 10:26:26 की कीमत कोरोमंडल फर्टिलाइजर के लिए 1475 रुपये प्रति बैग हो गई है जबकि इफको के लिए इस उर्वरक की कीमत 1175 रुपये प्रति बैग है।

वहीं एक अन्य कॉम्प्लेक्स उर्वरक अमोनिया, फॉस्फेट, सल्फेट (एनपीएस) 20:20:0  की कीमतें भी बढ़ाकर 1300 रुपये प्रति  बैग कर चली गई हैं। इसकी सबसे कम कीमत इफको की है जो 1150 रुपये प्रति बैग है। इफको इसके पहले इसे 1050 रुपये प्रति बैग पर बेच रही थी और हाल ही में इसकी कीमत को 100 रुपये प्रति बैग बढ़ाकर 1150 रुपये प्रति बैग किया गया है। मध्य प्रदेश में इसके लिए इफको की कीमत 1150 रुपये प्रति बैग है जबकि कोरोमंडल के लिए 1225 रुपये प्रति बैग है।

उद्योग सूत्रों का कहना है कि फॉस्फोरिक एसिड, पोटाश और नाइट्रोजन समेत सभी न्यूट्रिएंट की कीमतों में पिछले एक साल में भारी बढ़ोतरी हुई है। इनमें सबसे अधिक बढ़ोतरी के साथ फॉस्फोरिक एसिड की कीमत 1400 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई है। हालांकि यहां एक तथ्य यह भी है कि डीएपी में 46 फीसदी फॉस्फेट होता है और इसकी कीमत अभी 1200 रुपये प्रति बैग है। वहीं 32 फीसदी फॉस्फेट वाले एनपीके की कीमत 1700 रुपये को  पार कर गई है। अभी हाल तक एनपीके की कीमत डीएपी से कम ही रही हैं। अप्रैल में कंपनियों द्वारा डीएपी के बैग की कीमत को 1200 रुपये से बढ़ाकर 1800 रुपये प्रति बैग करने पर सरकार ने फॉस्फेट पर सब्सिडी में भारी बढ़ोतरी की थी और 20 मई को जारी अधिसूचना में इस के लिए सब्सिडी को 14000 रुपये प्रति टन बढ़ा दिया गया था ताकि डीएपी के बैग की कीमत को 1200 रुपये के पुराने स्तर पर ही रखा जा सके। डीएपी पर सब्सिडी 24231 रुपये प्रति टन हो गई है। उर्वरक विभाग द्वारा 20 मई,2021 की शाम को जारी नोटिफिकेशन में एनबीएस के तहत नाइट्रोजन (एन), फॉस्फेट (पी), पोटाश (के) और सल्फर (एस) के लिए प्रति किलो सब्सिडी के रेट घोषित किये गये हैं। नई सब्सिडी दरों के तहत फॉस्फेट पर सब्सिडी को 14.888 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 45.323 रुपये प्रति किलो कर दिया गया है। नाइट्रोजन, पोटाश और सल्फर पर सब्सिडी को 3 अप्रैल, 2020 को जारी नोटिफिकेशन के स्तर पर ही रखा गया है। 20 मई को जारी नोटिफिकेशन में नाइट्रोजन (एन) पर सब्सिडी 18.789 रुपये प्रति किलो, पोटाश (के) पर 10.116 रुपये प्रति किलो और सल्फर (एस) पर 2.374 रुपये किलो ही रखी गई है।

इसके चलते  लेकिन उस समय सरकार ने केवल फॉस्फेट पर ही सब्सिडी में बढ़ोतरी की थी जबकि अमोनिया और पोटाश जैसे न्यूट्रिएंट पर सब्सिडी में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी। उस समय कंपनियों ने इनके उपयोग से बनने वाले उर्वरकों की कीमत में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी। साथ ही नये सब्सिडी रेट केवल 31 अक्तूबर, 2021 तक के लिए तय किये जाने की बात अधिसूचना में की गई है।

उर्वरकों के लिए जरूरी न्यूट्रिएंट्स की अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी कीमत बढ़ोतरी के बावजूद सरकार ने सब्सिडी में कोई बढ़ोतरी नहीं की है।  हालांकि उर्वरक मंत्रालय में इस मुद्दे बैठकें हुई और स्थिति की समीक्षा के साथ कंपनियों को आश्वासन दिया गया कि उनको घाटा नहीं होने दिया जाएगा। लेकिन अभी तक कोई फैसला भी नहीं हुआ है। इसके चलते इन उर्वरकों और इनके कच्चे माल के आयात में भारी गिरावट दर्ज की गई है और 31 अगस्त,2021 को इनका घरेलू स्टॉक तीन साल के निचले स्तर पर चला गया था।

उद्योग सूत्रों का कहना है कि उर्वरकों की उपलब्धता की स्थिति बहुत बेहतर नहीं है। वहीं देश के कुछ राज्यों से उर्वरकों की किल्लत की खबरें भी आना शुरू हो गई हैं। इस समय रबी सीजन की फसलों की बुआई जोरों से शुरू होने को है और अगर इस समय कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की किल्लत होगी तो किसानों के लिए बड़ी मुश्किल पैदा हो जाएगी क्योंकि एनपीके, डीएपी और दूसरे कॉम्प्लेक्स उर्वरकों का बुआई के समय बड़े पैमाने पर उपयोग होता है।   

साभार: रूरल वॉइस