कृषि बजट में कटौती, पीएम-किसान और मनरेगा का बजट घटा
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कोराना संकट और किसान आंदोलन की चुनौतियों से घिरी केंद्र सरकार ने सोमवार को वित्त वर्ष 2021-22 का आम बजट पेश किया। संसद में बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किसानों की आय दोगुनी करने का संकल्प तो दोहराया, लेकिन कृषि और ग्रामीण विकास के बजट में कटौती कर दी। कृषि और ग्रामीण विकास से जुड़ी कई महत्वपूर्ण योजनाओं का बजट कम हुआ है।
किसान आंदोलन के मद्देनजर इस बार बजट में किसानों के लिए बड़ी घोषणाओं की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। किसानों की आय दोगुनी करने या कृषि संकट को हल करने का कोई रोडमैप भी बजट में नजर नहीं आया। कृषि उपज मंडियों (APMC) को एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के दायरे में लाने का ऐलान जरूर किया है, लेकिन पूरी योजना के लिए केवल 900 करोड़ रुपये का प्रावधान है जो देश की हजारों मंडियों के लिए नाकाफी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि ऋण के लक्ष्य को 15 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 16.5 लाख करोड़ करने का ऐलान किया है। लेकिन किसानों को छोटी अवधि के कर्ज के लिए ब्याज सब्सिडी का बजट 21,175 करोड़ से घटाकर 19,468 करोड़ रुपये कर दिया।
एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर
बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कृषि के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर काफी जोर दिया गया। इसके लिए एग्रीकल्चर सेस से राजस्व जुटाया जाएगा। लेकिन जनता पर फिलहाल कोई अतिरिक्त बोझ नहीं डाला गया है। इसका अर्थ यह है कि एग्री सेस की एवज में एक्साइज ड्यूटी में कटौती की जाएगी जिससे टैक्स में राज्यों की हिस्सेदारी घट सकती है। तीन कृषि कानूनों को अपने क्षेत्राधिकार में दखल मान रहे राज्यों के लिए यह नया मुद्दा बन सकता है। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट की सराहना करते हुए कहा कि इस बजट के दिल में गांव और किसान हैं।
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कृषि और ग्रामीण विकास का बजट घटा
वर्ष 2021-22 के बजट में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए कुल 1.48 लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है जो वर्ष 2020-21 में 1.54 लाख करोड़ रुपये था। ग्रामीण विकास पर कुल 1.95 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगेेे, जो वर्ष 2020-21 में 2.16 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से करीब 10 फीसदी कम हैं।
मंत्रालय के लिहाज से देखें तो कृषि मंत्रालय के तहत आने वाले कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग का बजट 2020-21 में 1.34 लाख करोड़ रुपये था, जो घटकर 1.23 लाख करोड़ रुपये रह गया है। कृषि शोध एवं शिक्षा विभाग का बजट 8,363 करोड़ रुपये था, जो बढ़कर 8,513 करोड़ रुपये हुुआ है। फिर भी कृषि मंत्रालय के कुल बजट में लगभग 11 हजार करोड़ रुपये की कटौती हो गई है।
कृषि के अलावा पशुपालन और डेयरी विभाग का बजट भी घटा है। पिछले साल पशुपालन और डेयरी विभाग के लिए 3,289 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था, जो अब 3,101 करोड़ रुपये है।
पीएम-किसान के बजट में कटौती
कई राज्यों में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर पीएम-किसान की धनराशि को सालाना 6000 रुपये से बढ़ाने की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन इस योजना के बजट में ही कटौती हो गई है। पिछले साल बजट में पीएम-किसान के लिए 75 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान था, जिसे घटाकर 65 हजार करोड़ रुपये कर दिया है। इसका सीधा मतलब है कि किसानों को डायरेक्ट इनकम सपोर्ट की योजना का दायरा बढ़ना अब मुश्किल है।
मनरेगा का बजट 34% घटा
लॉकडाउन के दौरान मजदूरों का सहारा बनी मनरेगा का बजट 2020-21 मेंं 1.11 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से 34 फीसदी घटाकर 73 हजार करोड़ रुपये कर दिया है। जबकि देश में रोजगार की मांग को देखते हुए मनरेगा का बजट बढ़ने की उम्मीद की जा रही थी।
सरकार को उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष में लॉकडाउन जैसे हालात नहीं होंगे, इसलिए मनरेगा का बजट कम किया जा सकता है। मनरेगा के अलावा ग्रामीण विकास की प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का बजट भी घटा है। पिछले बजट में इस योजना के लिए 19,500 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे, लेकिन इस बार 15,000 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है। कई योजनाओं का बजट घटने से ग्रामीण विकास मंत्रालय का बजट भी चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान 1.98 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 1.33 लाख करोड़ रुपये रह गया है।
डेढ़ गुना दाम दिलाने का दावा
वित्त मंत्री के बजट भाषण में किसान और कृषि क्षेत्र का जिक्र काफी इंतजार के बाद आया। जबकि गत वर्षों में बजट की शुरुआत कृषि क्षेत्र से भी हुई है। कृषि के बारे में बोलते हुए वित्त मंत्री ने 2013-14 के मुकाबले गेहूं, धान, दलहन और कपास की एमएसपी पर बढ़ी खरीद के आंकड़ों पर काफी जोर दिया। हालांंकि, एमएसपी पर खरीद के आंकड़े प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री किसानों को संबोधित करते हुए पहले भी कई बार बता चुके हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि एमएसपी की व्यवस्था में मूलभूत परिवर्तन किया गया है ताकि सभी जिसों में लागत का डेढ़ गुना दाम मिल सके। हालांकि, यह दावा कमतर लागत को आधार मानने की वजह से पहले ही विवादित है।
दाम दिलाने वाली योजनाएं बेदम
कृषि उपज को बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाने और किसानों को सही दाम दिलाने के लिए शुरू हुई योजनाओं के बजट में भी कटौती की गई है। प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड के लिए चालू वित्त वर्ष में 11,800 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान के मुकाबले सिर्फ 2,700 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। मार्केट इंटरवेंशन स्कीम एंंड प्राइस सपोर्ट स्कीम का बजट भी 2,000 करोड़ रुपये के पिछलेे बजट अनुमान से घटकर 1,500 करोड़ रुपये रह गया है।
किसानों को एमएसपी सुनिश्चित कराने वाली पीएम-आशा के लिए 400 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जबकि पिछले साल योजना का बजट 500 करोड़ रुपये था। इन योजनाओं में कटौती एमएसपी को लेकर किसानों की आशंकाओं को बल देती हैंं।
फूड सब्सिडी में कमी
चालू वित्त वर्ष में लॉकडाउन के कारण सरकार ने अनाज का मुफ्त वितरण किया और फूड सब्सिडी का खर्च 1.15 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान से बढ़कर 4.22 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। अगले वित्त वर्ष से लिए सरकार ने फूड सब्सिडी के लिए 2.43 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। इस पैसे के जरिये ही एफसीआई राज्यों से खाद्यान्न की खरीद करवाती है। फूड सब्सिडी घटने से गेहूं और अनाज की सरकारी खरीद को चालू वित्त वर्ष के स्तर पर बनाये रखना मुश्किल होगा। हालांकि, सरकार ने एक ईमानदार पहल यह की है कि फूड सब्सिडी को कर्ज के रूप में देने की बजाय इसके लिए बजट आवंटन किया है। इससे एफसीआई का वित्तीय प्रबंधन में सुधार आ सकता है।
उर्वरक सब्सिडी में भारी कटौती
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में उर्वरक सब्सिडी में भारी कटौती की है। उर्वरक सब्सिडी के लिए चालू वित्त वर्ष में 1.34 लाख करोड़ रुपये का संशोधित अनुमान है, जिसे आगामी वित्त वर्ष के लिए घटाकर 79,530 करोड़ रुपये किया गया है। यूरिया सब्सिडी 94,957 करोड़ रुपये से घटकर 58,786 करोड़ रुपये और न्यूट्रिएंट सब्सिडी 38,990 करोड़ रुपये से घटकर 20,762 करोड़ रुपये रह गई है।
कृषि या ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ी जिन योजनाओं का बजट घटा है उनमें प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना, प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना और दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना भी शामिल हैं।
ग्रामीण और कृषि क्षेत्र से जुड़ी प्रमुख घोषणाएं
– कपास पर इंपोर्ट ड्यूटी शून्य से बढ़ाकर 10 फीसदी और रेशम पर 10 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी की गई
– कई वस्तुओं पर एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस लगाने का ऐलान, लेकिन इससे जनता पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा
– गांवों में संपत्तियों का मालिकाना हक देने वाली स्वामित्व योजना पूरे देश में लागू होगी
– कृषि ऋण का लक्ष्य 15 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रुपये किया
– रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड को 30 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 40 हजार करोड़ रुपये किया
– नाबार्ड के तहत बने माइक्रो इरिगेशन फंड को 5000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10,000 करोड़ रुपये किया
– ऑपरेशन ग्रीन स्कीम में आलू, प्याज, टमाटर के अलावा 22 अन्य जल्दी खराब होने वाली उपजों को शामिल किया जाएगा
– 1000 मंडियों को ई-नैम के अंतर्गत लाया जाएगा।
– एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का लाभ कृषि उपज मंडियों (APMC) को मिल सकेगा।
– 5 मत्स्य बंदरगाहों कोच्चि, चैन्नई, विशाखापट्टनम, पारादीप और पेटुआघाट को आर्थिक गतिविधियों के हब के तौर पर विकसित किया जाएगा।
– सीवीड उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए तमिलनाडु में सीवीड पार्क बनेगा
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