कुंभ मेले से पहले रिंग रोड परियोजना के लिए किसान अपनी जमीन अधिग्रहण के लिए देने को तैयार नहीं!
आगामी सिंहस्थ कुंभ मेला 2026–28 की तैयारियों के तहत प्रस्तावित रिंग रोड परियोजना को लेकर नाशिक जिले में किसानों की नाराजगी सामने आ रही है. बड़ी संख्या में किसान अपनी कृषि भूमि अधिग्रहण के लिए देने को तैयार नहीं हैं, जिससे परियोजना पर अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं.
प्रशासन द्वारा शहर के चारों ओर लगभग 65 किलोमीटर लंबे रिंग रोड का प्रस्ताव रखा गया है. इसका उद्देश्य कुंभ मेले के दौरान शहर में बढ़ने वाले यातायात दबाव को कम करना और श्रद्धालुओं की आवाजाही को सुगम बनाना है. यह रिंग रोड घोटी, त्र्यंबकेश्वर, अडगांव, पालसे सहित कई ग्रामीण इलाकों से होकर गुजरेगा.
किसानों का कहना है कि उन्हें अब तक मुआवजे की दर, पुनर्वास और भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है. विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों को आशंका है कि जमीन जाने के बाद उनकी आजीविका प्रभावित होगी. कुछ क्षेत्रों में किसानों ने बैठकें और विरोध प्रदर्शन कर प्रशासन से मांग की है कि पहले न्यायसंगत मुआवजे और भरोसेमंद नीति घोषित की जाए. किसानों का कहना है कि विकास जरूरी है, लेकिन इसकी कीमत उनकी रोज़ी-रोटी नहीं होनी चाहिए.
मामले को लेकर राज्य सरकार के मंत्री नरहरी जिरवाल ने किसानों और संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की. उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि उचित मुआवजा दिया जाएगा और किसी के साथ अन्याय नहीं होगा. साथ ही, कुंभ मेले की तैयारियों को समय पर पूरा करने के लिए सहयोग की अपील भी की गई.
प्रशासन का अनुमान है कि सिंहस्थ कुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु नाशिक पहुंचेंगे. ऐसे में बेहतर सड़क और यातायात व्यवस्था प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है. अब देखना होगा कि किसानों की सहमति और सरकारी आश्वासनों के बीच यह परियोजना किस दिशा में आगे बढ़ती है.
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