संशोधित बिल से पहले मनरेगा सूची से हटाए गए 16.3 लाख से अधिक मजदूरों के नाम!
केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए नए ग्रामीण रोजगार विधेयक (VB-G RAM G Bill, 2025) के पहले महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की कार्यसूची से 16.3 लाख से अधिक मजदूरों के नाम हटाए गए. यह जानकारी सरकारी आंकड़ों और मीडिया रिपोर्टों के आधार पर सामने आई है.
10 अक्टूबर से 14 नवंबर 2025 तक कुल 36 दिनों में 16,30,000+ श्रमिकों को मनरेगा रॉल से हटाया गया. यह अवधि बिल के 16 दिसंबर को लोकसभा में पेश किए जाने से लगभग एक महीने पहले है. यह कदम ग्रामीण मजदूरों और विशेषज्ञों के बीच चिंता का कारण बन रहा है, क्योंकि मनरेगा ग्रामीण लोगों को रोजगार का अधिकार सुनिश्चित करता है.
सरकार का दावा है कि केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान ने लोकसभा में लिखित जवाब में कहा कि ये नाम हटाने की प्रक्रिया एक सामान्य नियमित अभ्यास है, जिसमें फर्जी या डुप्लिकेट जॉब कार्ड, स्थायी रूप से ग्रामीण इलाकों से बाहर जाने वाले परिवार, शहरी क्षेत्र में ग्राम पंचायतों का दर्जा बदल जाना, और मृत्यु जैसे कारण शामिल हैं. उन्होंने यह भी कहा कि डिजिटल सत्यापन इसके कारण नहीं है.
वहीं विपक्षी दलों ने कहा है कि e-KYC सत्यापन प्रक्रिया के कड़े होने के कारण भी बड़े पैमाने पर नाम हटाए गए हैं, और कुछ आंकड़ों के अनुसार इस अवधि में करीब 27 लाख नाम हटाए गए थे.
MGNREGA 2005 में लागू हुआ था और ग्रामीण घरों को काम मांगने पर रोजगार का कानूनी अधिकार देता है. इसे देश की सबसे बड़ी सामाजिक सुरक्षा योजना माना जाता है. नए विधेयक के प्रस्ताव और इसके साथ किए जा रहे नाम हटाने को लेकर राजनीतिक और सामाजिक बहस तेज है.
नया बिल क्या प्रस्तावित है?
सरकार का नया VB-G RAM G बिल मनरेगा को बदलकर ग्रामीण रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) के रूप में पेश करता है, जिसमें एक वित्तीय वर्ष में 125 दिनों तक रोजगार गारंटी देने की आवश्यकता है जो मनरेगा के 100 दिनों से अधिक है. इस नए ढांचे में वित्तीय जिम्मेदारी का हिस्सा भी बदलने की बात है.
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