हरियाणा में सरकारी डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल: सरकार ने लगाया ESMA,स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित!

 

हरियाणा में सरकारी डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है, जिसके चलते राज्यभर में ओपीडी, आपातकालीन सेवाओं, पोस्टमार्टम और अन्य नियमित स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर असर पड़ रहा है. कई जिलों में मरीजों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है, जबकि कुछ जगहों पर जरूरी सेवाएं लगभग ठप हो चुकी हैं.

सरकार की सख्ती: ESMA लागू

हड़ताल को देखते हुए राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग पर एसेंशियल सर्विसेज मेंटेनेंस एक्ट (ESMA) लागू कर दिया है, जिसके तहत अगले छह महीनों तक डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध घोषित किया गया है. सरकार का कहना है कि जनता को किसी भी स्थिति में स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित नहीं होने दिया जाएगा. साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिला अस्पतालों और हेल्थ सेंटर्स के अधिकारियों को चिट्ठी भेजकर साफ कहा है कि जो भी कर्मचारी हड़ताल पर गए हैं, उनकी सैलरी रोक दी जाए.यह कार्रवाई “नो वर्क, नो पे” यानी काम नहीं तो वेतन नहीं के नियम के तहत होगी। आदेश में लिखा है कि हड़ताल के दिनों में किसी भी कर्मचारी को वेतन या मानदेय नहीं दिया जाएगा.

डॉक्टरों का रुख: हड़ताल जारी रहेगी

हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (HCMSA) ने स्पष्ट कर दिया है कि वे ESMA के बावजूद हड़ताल जारी रखेंगे. उनका कहना है कि—

सरकार द्वारा विशेषज्ञ डॉक्टरों (SMO) की सीधी भर्ती का वे विरोध कर रहे हैं.

लंबे समय से लंबित सुधारित एसीपी (Modified ACP) को लागू करने की मांग कर रहे हैं.

कई दौर की बातचीत के बावजूद सरकार ने उनकी मांगों पर ठोस प्रस्ताव नहीं दिया.

डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने जल्द समाधान नहीं निकाला तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा और आमरण अनशन की तैयारी भी की जा रही है.

सेवाओं पर बड़ा प्रभाव

यमुनानगर, हिसार, फतेहाबाद, जींद, पानीपत, कैथल और झज्जर सहित कई जिलों से रिपोर्ट हैं कि—

ओपीडी सेवाएं आंशिक या पूरी तरह बंद रहीं.

कई आपातकालीन मामलों को निपटाने में देरी हुई.

कुछ स्थानों पर पोस्टमार्टम जैसे संवेदनशील कार्य रोकने पड़े.

मरीजों को लंबी दूरी तय कर निजी अस्पतालों में जाना पड़ा.

सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर मेडिकल कॉलेजों के रेजिडेंट डॉक्टरों, एएनएम/जीएनएम स्टाफ, एनएचएम व आयुष के कर्मचारियों और जरूरत पड़ने पर निजी विशेषज्ञों की मदद लेने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, कई जिलों में ये व्यवस्थाएँ अपर्याप्त साबित हो रही हैं।

अब आगे क्या?

स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. सरकार समाधान की बात कर रही है, जबकि डॉक्टर मांगें पूरी होने तक पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. मरीज और उनके परिजन सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं, खासकर वे जो सरकारी अस्पतालों पर निर्भर हैं.