धान घोटाला: फर्जी किसानों ने उड़ाया ₹3.3 करोड़ का सरकारी फंड, अधिकारियों की मिलीभगत का खुलासा!
हरियाणा के बाद तेलंगाना में भी धान खरीद योजना के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है. जांच में खुलासा हुआ है कि कुछ फर्जी किसानों ने सरकारी पोर्टल पर गलत जानकारी देकर लगभग ₹3.3 करोड़ का फंड हड़प लिया. हैरानी की बात यह है कि इस पूरी साजिश में कुछ अधिकारियों और चावल मिल मालिकों की मिलीभगत भी पाई गई है.
मामला हनमकोंडा और मंचेरियल जिलों का है. जांच एजेंसियों के मुताबिक, कुछ चावल मिल मालिकों और दलालों ने मिलकर 12 नकली किसानों के नाम से खाते खोले और उन्हें सरकार के ऑनलाइन पक्की खरीदी प्रबंधन प्रणाली में दर्ज करा दिया. इन फर्जी खातों के जरिए उन्होंने दिखाया कि सैकड़ों एकड़ जमीन पर धान की खेती की गई और हजारों क्विंटल धान मंडियों में बेचा गया. असल में न तो खेती हुई और न ही धान की आपूर्ति. फिर भी इन नकली किसानों के खातों में कुल ₹3.3 करोड़ से अधिक राशि सरकारी योजना के तहत ट्रांसफर कर दी गई.
हनमकोंडा जिले के श्यामपेत्त मंडल में चावल मिल मालिक बेज्जंकी श्रीनिवास ने परिवार के लोगों के नाम पर फर्जी किसान प्रोफाइल बनाई थीं. इन प्रोफाइलों में दिखाया गया कि 278 एकड़ जमीन में खेती की गई और 8,000 क्विंटल धान बेचा गया. इसी तरह मंचेरियल जिले में ततिपल्ली श्रीनिवास नामक मिल मालिक ने 740 एकड़ जमीन का फर्जी रिकॉर्ड दिखाकर ₹1.39 करोड़ की राशि निकाल ली.
दलालों और मिल मालिकों ने कृषि विभाग और धान खरीदी केंद्र के कर्मचारियों की मदद से सरकारी पोर्टल में गलत डेटा अपलोड किया. इसके बाद भुगतान सीधे फर्जी खातों में पहुंच गया. जांच अधिकारियों का कहना है कि यह संगठित आर्थिक अपराध है, जिसमें सरकारी कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध है.
राज्य सरकार ने इस घोटाले को लेकर आपराधिक मामला दर्ज किया है. कृषि विभाग ने सभी संबंधित कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है और डिजिटल ऑडिट का आदेश दिया है.
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