पंजाब: पराली जलाने के आरोप में 126 किसानों पर FIR!

पंजाब में पराली जलाने को लेकर सरकार ने 12 और किसानों के खिलाफ केस दर्ज किए हैं, जिससे इस सीजन में पराली जलाने को लेकर किसानों पर कुल केसों की संख्या 126 हो गई है. लेकिन सवाल यह उठता है — क्या किसानों पर केस दर्ज करना ही इस समस्या का हल है? प्रशासन का कहना है कि जिन किसानों ने पराली जलाई, उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत कार्यवाही की गई है. उनके जमीन रिकॉर्ड में “रेड एंट्री” की गई है यानी अब वे न तो अपनी जमीन बेच सकते हैं, न गिरवी रख सकते हैं, और न ही कृषि ऋण के पात्र रहेंगे.
पंजाब के अधिकतर किसान सीमांत या छोटे किसान हैं. उनके पास पराली प्रबंधन के लिए न तो पैसे हैं, न मशीनें, और न ही समय. फसल कटाई के बाद अगली फसल (गेंहू) की बुवाई के लिए कुछ ही हफ्ते होते हैं ऐसे में पराली जलाना उनके लिए मजबूरी बन जाता है.
केंद्र और राज्य सरकार दोनों पराली प्रबंधन के लिए योजनाएं चलाने का दावा करती हैं लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि ये योजनाएं या तो किसानों तक पहुंचती नहीं हैं, या बेहद सीमित हैं. दिल्ली और उत्तर भारत में हर साल अक्टूबर-नवंबर में हवा जहरीली हो जाती है जिसके लिए केवल पराली जलाने को कारण ठहराया जाता है. ऐसे में सवाल है कि क्या निर्माण कार्यों पर रोक लगी? क्या उद्योगों और गाड़ियों से निकलने वाले धुएं पर नियंत्रण हुआ? क्या शहरी प्रदूषण पर सरकारें उतनी ही गंभीर हैं जितनी किसानों पर?
सरकार के लिए किसानों को निशाना बनाकर केस दर्ज करना आसान है. यह दिखाने का एक तरीका है कि ‘सरकार काम कर रही है’ लेकिन सच्चाई यह है कि जब तक सरकार पराली प्रबंधन के व्यवहारिक और सस्ते विकल्प नहीं देगी, तब तक यह समस्या हर साल दोहराई जाएगी.
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