कृषि संकट और कर्ज के जंजाल से जूझ रहे किसानों को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कई बिजनेस मंत्र सुझाएंं हैं। गडकरी का कहना है कि सिर्फ गेहूं और धान जैसे परंपरागत फसलों से किसान का भला होने वाला नहीं है। बाजार की नब्ज पहचानते हुए किसानों को नई तकनीक और नए उद्यमों की राह पकड़नी होगी। सिर्फ खेती से गांव की इकनॉमी नहीं चलेगी।
काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट, सेंटर फॉर एग्रीकल्चरल पॉलिसी डायलॉग और स्वाभिमानी शेतकारी संगठन की ओर से किसानों को कर्ज से मुक्ति दिलाने के मुद्दे पर मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित परिचर्चा में गडकरी ने जोर दिया कि देश के कई इलाकों में किसान इनोवेशन और उद्यमिता के जरिये अपनी तकदीर बदल रहे हैं। केंद्र सरकार भी कृषि उत्पादकता दोगुना करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। लेकिन इसके लिए सबसे जरुरी है पानी की समस्या को हल करना। इसलिए सरकार 80 हजार करोड़ रुपये की त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) समेत विभिन्न योजनाओं के जरिए 2 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के दायरे में लाने का प्रयास कर रही है। इसके अलावा प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत भी 20 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। गौरतलब है कि फिलहाल देश की करीब 46 फीसदी कृषि योग्य भूमि ही सिंचित है।
किसानों के कर्ज के जाल में फंसे होने और आत्महत्याओं पर अफसोस जताते हुए गडकरी ने कहा कि कहा, वह दिल्ली में किसानों के लॉबिस्ट हैं। किसानों की आवाज़ दिल्ली, मुम्बई तक पहुँच नहीं पाती। कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए उन्होंने कई आइडिया दिए हैं।
विदर्भ में होगी अमूल की एंट्री
वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि देश की प्रमुख डेयरी कॉपरेटिव अमूल महाराष्ट्र् के सूखाग्रस्त विदर्भ क्षेत्र में 400 करोड़ रुपये की परियोजना स्थापित करना चाहती है। उन्होंने अमूल से विदर्भ में डेयरी शुरू करने का अनुरोध किया था। जिसके बाद इस दिशा में काम चल रहा है। गडकरी का कहना है कि अमूल के सहयोग से विदर्भ में दुग्ध उत्पादन चार से पांच गुना बढ़ सकता है।
सड़क किनारे वृक्षरोपण से मिलेगा रोजगार
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि सड़क निर्माण में भी किसानों के लिए रोजगार के मौके आएंगे। करीब 1500 किमी. राजमार्गों के किनारे वृक्षारोपण की योजना है। इसके जरिये स्थानीय लोगों को आय के अवसर मुहैया कराए जाएंगे।