कांग्रेस ने किया ‘कर्ज मुक्ति’ और ‘किसान बजट’ का वादा

 

2019 के लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस ने अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के घोषणापत्र को ‘जनता की आवाज’ बताते हुए यह कहा है कि इसमें किसानों के संकट को दूर करने वाले वादे किए गए हैं और सत्ता में आने के बाद हर वादा कांग्रेस पूरा करेगी।

राहुल गांधी के इन दावों के बीच कांग्रेस घोषणापत्र में किसानों के लिए किए गए वादों के बारे में जानना प्रासंगिक है। दरअसल, देश के किसान पिछले कई सालों से गंभीर परेशानियों का सामना कर रहे हैं। वे न सिर्फ कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं बल्कि उन्हें न तो अपनी उपज का सही दाम मिल पा रहा है और न ही लागत में कमी लाने की लिए सरकार के ओर से कोई उपाय किया जा रहा है। इससे किसानों की आमदनी बढ़ नहीं पा रही है।

ऐसे में कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र के जरिए किसान और किसानी की इन समस्याओं को दूर करने के वादे किए हैं। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में कहा है कि वह किसानों को ‘कर्ज माफी’ से ‘कर्ज मुक्ति’ की राह पर ले जाएगी। इसके लिए पार्टी ने कहा है कि वह किसानों को उपज के बदले लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करेगी। साथ ही कांग्रेस ने यह भी कहा कि कांग्रेस की सरकार अगर बनी तो लागत में कमी लाया जाएगा और किसानों को संस्थागत कर्ज मिले, यह सुनिश्चित किया जाएगा।

कांग्रेस ने देश के किसानों से यह वादा भी किया है कि केंद्र की सत्ता में आने के बाद उसकी सरकार हर साल अलग से ‘किसान बजट’ पेश करेगी। इसके जरिए कृषि क्षेत्र पर उसकी जरूरतों के हिसाब से विशेष जोर दिया जा सकेगा।

घोषणापत्र जारी करने के अवसर पर राहुल गांधी ने यह भी कहा कि अगर किसी वजह से किसान कर्ज नहीं चुका पाएंगे तो इसे सिविल मामला माना जाएगा न कि आपराधिक। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि ऐसा करना एक ऐतिहासिक कदम होगा। कांग्रेस के घोषणापत्र में यह कहा गया है कि कर्ज नहीं चुका पाने वाले किसानों के खिलाफ आपराधिक मामले वाली कार्रवाई नहीं होगी।

कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में यह भी वादा किया सरकार बनाने के बाद वह एक कृषि के लिए एक स्थायी आयोग बनाएगी। पार्टी ने इसे राष्ट्रीय कृषि विकास एवं योजना आयोग नाम दिया है। कांग्रेस ने कहा है कि इस आयोग में किसान, कृषि वैज्ञानिक और कृषि अर्थशास्त्रियों को शामिल किया जाएगा। ये आयोग सरकार को बताएगी कि कृषि को कैसे फायदेमंद बनाया जाए। घोषणापत्र में यह कहा गया है कि इस आयोग की सिफारिशें सरकार के लिए बाध्यकारी होंगी। कांग्रेस ने यह प्रस्ताव भी दिया है कि यही आयोग न्यूनतम समर्थन मूल्य भी तय करेगा।

कांग्रेस ने अपतने घोषणापत्र में भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा चलाई जा रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को भी संशोधित करने की बात कही है। पार्टी ने कहा है कि अभी यह योजना किसानों की कीमत पर बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचा रही है।

कांग्रेस ने यह भी कहा है कि सत्ता में आने के बाद वह राज्य सरकारों के साथ मिलकर जमीन से संबंधित रिकाॅर्ड को डिजिटल बनाने का काम करेगी। साथ ही वह खेती की जमीन पर महिलाओं के स्वामित्व और बटाई की खेती के हकों को संरक्षित करने के लिए भी काम करेगी। पार्टी ने कहा है कि ऐसा करने से विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत महिला लाभार्थियों को लाभ मिल पाएगा।

कांग्रेस ने घोषणापत्र में यह भी कहा है कि वह कृषि की लागत को कम करने की दिशा में काम करेगी। साथ ही पार्टी ने यह वादा भी किया है कि वह एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटि कानून को खत्म करके कृषि व्यापार को सारी बंदिशों से मुक्त करने का काम करेगी। पार्टी ने यह वादा भी कहा है कि कृषि उत्पादों के निर्यात और आयात से संबंधित नई नीतियां वह लेकर आएगी।

अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने यह भी कहा है कि वह सीमांत किसानों के लिए भी एक नया आयोग स्थापित करेगी ताकि उनकी आमदनी बढ़ाने की दिशा में काम हो सके। कांग्रेस ने यह भी कहा है कि वह स्थानीय उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा देगी।

कांग्रेस ने घोषणापत्र में एक अहम वादा यह किया है कि वह अगले पांच साल में कृषि से संबंधित शोध और अध्ययन पर होने वाले खर्च को दोगुना करेगी। कांग्रेस का कहना है कि इससे कृषि को लाभकारी बनाने में काफी मदद मिलेगी।

ये वादे तो अच्छे लगते हैं कि लेकिन भारत में घोषणापत्र में किए गए वादों का जो हश्र होता है, उससे हर कोई वाकिफ है। इसलिए अच्छे वादों के बावजूद कांग्रेस घोषणापत्र में किसानों से संबंधित वादों पर किसानों का कितना विश्वास जमेगा, यह कहना मुश्किल है। लेकिन अगर इन वादों पर वाकई अमल हुआ तो देश के कृषि क्षेत्र की तस्वीर बदल सकती है।