कृषि मंत्रालय ने प्राइवेट कंपनियों को सौंपी फसल बीमा की अहम जिम्मेदारी

भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने प्राइवेट कंपनियों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़ी एक अहम जिम्मेदारी सौंपी है। यह पहल उपज की पैदावार के सही अनुमानों और समय पर बीमा दावों के निस्तारण के लिए आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से जुड़ी है। इसके लिए कृषि मंत्रालय ने तीन प्राइवेट कंपनियों की सेवाएं लेने का फैसला किया है जो राज्य सरकारों द्वारा किये गये फसल कटाई प्रयोग (सीसीई) का निरीक्षण करेंगी और खुद भी ऐसे प्रयोग कर सकती हैं।  

कृषि मंत्रालय की ओर 8 मार्च को राज्य सरकारों को भेज गये एक पत्र के अनुसार, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 13 राज्यों के 100 जिलों में ग्राम पंचायत स्तर पर तकनीक आधारित उपज अनुमानों के लिए प्रायोगिक अध्ययन कराये जा रहे हैं। इन अनुमानों की पुष्टि स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा कराने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए तीन एजेंसियों – इंडियन एग्रीबिजनेस सिस्ट्म्स-एग्रीवॉच, आईएआर इंश्योरेंस सर्वेयर्स एंड लॉस असेसर्स प्राइवेट लिमिटेड और लीड्सकनेक्ट सविर्सेज प्राइवेट लिमिटेड को चुना गया है।

इस चयन का क्या आधार था? और इसके लिए क्या प्रक्रिया अपनायी गई? इसकी जानकारी फिलहाल नहीं है। लेकिन ये एजेंसियां राज्य सरकार द्वारा किये गये फसल कटाई प्रयोगों का निरीक्षण करेंगी। इसके अतिरिक्त अपनी तरफ से भी ऐसे प्रयोग करेंगी। इन प्रयोगों के आधार पर फसल की पैदावार और जोखिम का आकलन किया जाता है। इस समूची प्रक्रिया में डेटा कलेक्शन की अहम भूमिका है, जिसके लिए रिमोट सेंसिंग, जीआईएस और डेटा एनालिटिक्स से जुड़ी तकनीक का इस्तेमाल होता है। इस तरह की टेक्नोलॉजी को कृषि के भविष्य के तौर पर भी देखा जा रहा है।      

स्वतंत्र एजेंसियों के चयन के बारे में कृषि मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों को लिखा पत्र

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में शुरुआत से ही निजी क्षेत्र की भागीदारी रही है, इसलिए फसल कटाई प्रयोगों के निरीक्षण और अध्ययन में निजी क्षेत्र की भागीदारी कोई आश्चर्य की बात नहीं है। कृषि मंत्रालय ने राज्य सरकारों से इन एजेंसियों को पूरा सहयोग देने का अनुरोध किया है। यह कदम कृषि मंत्रालय की उन कोशिशों का हिस्सा है जिसके तहत फसल बीमा दावों के समय पर निस्तारण के लिए आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है।

फसल कटाई प्रयोगों के लिए चुनी गई एजेंसियों में से एक लीड्स कनेक्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, कंपनी रिमोट सेंसिंग, जीआईएस, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और डेटा एनालिटिक्स जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा किये गये क्रॉप कटिंग एक्सपेरीमेंट्स का सह-निरीक्षण करेगी। इसके अलावा कंपनी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के कुल 25 जिलों की ग्राम पंचायतों में फसल कटाई प्रयोग करेगी। लीड्स कनेक्ट के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक नवनीत रविकर का कहना है कि यह पारंपरिक डेटा कलेक्शन और रिमोट सेंसिंग तकनीक आधारित स्मार्ट सेंपलिंग कार्यप्रणाली का स्मार्ट सम्मिश्रण होगा। प्रबल संभावना है कि भविष्य में यह नई कार्यप्रणाली पारंपरिक विधि की जगह ले लेगी।

फसल बीमा के लिए उपज की पैदावार और नुकसान से जुड़े सही आंकड़े जुटाना बेहद महत्वपूर्ण है। आंकड़ों के आधार पर ही बीमा के जोखिम और सरकार द्वारा बीमा कंपनियों को होने वाले प्रीमियम के भुगतान का आकलन होता है। कृषि मंत्रालय की यह पहल डेटा कलेक्शन के इन्हीं प्रयासों से जुड़ी है।

गौर करने वाली बात यह भी है कृषि मंत्रालय ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और कृषि विश्वविद्यालयों के विशाल तंत्र की बजाय निजी क्षेत्र की कंपनियों पर भरोसा किया है। यह आईसीएआर और उसके संस्थानों की प्रासंगिकता पर भी एक सवालिया निशान है।

फसल बीमा का फायदा किसानों तक पहुंचाने की कोशिशें तेज

केंद्र सरकार की महत्‍वाकांक्षी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू होने के बाद अब इसे ज्‍यादा से ज्‍यादा किसानों तक पहुंचाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। इसके लिए राज्‍य सरकारों और कृषि से जुड़ी विभिन्‍न एजेंसियों के साथ मिलकर प्रयास किए जा रहे हैं।

नई दिल्‍ली। केंद्र सरकार की महत्‍वाकांक्षी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू होने के बाद अब इसे ज्‍यादा से ज्‍यादा किसानों तक पहुंचाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। इसके लिए राज्‍य सरकारों और कृषि से जुड़ी विभिन्‍न एजेंसियों के साथ मिलकर प्रयास किए जा रहे हैं।

सूखे की मार झेल रहे किसानों को फसल बीमा योजना से काफी उम्‍मीदे हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के व्‍यापक प्रचार के चलते भी किसानों में फसल बीमा को लेकर जागरुकता बढ़ी है। कृषि मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, इस साल गुजरात में 50 हजार किसानों ने ऑनलाइन माध्‍यम से खुद को प्रधानमंत्रीी फसल बीमा योजना के लिए पंजीकृत किया है। गौरतलब है कि गुजरात में ऑनलाइन पोर्टल के जरिये फसल बीमा के लिए किसानों का पंजीकरण किया जा रहा है। जबकि अन्‍य राज्‍यों में बैंकों और सहकारी संस्‍थाओं के जरिये किसानों को फसल बीमा का लाभ दिलाया जा रहा है।

गौरतलब हैै कि नई फसल बीमा योजना में पुरानी योजनाओं की खामियों को दूर करने का प्रयास किया गया है और प्रीमियम काफी कम कर दिया है। अब खाद्यान्न एवं तिलहन फसलों के लिए प्रीमियम 1.5 से दो प्रतिशत के बीच तथा बागवानी एवं कपास फसलों के लिए पांच प्रतिशत तक रखा गया है।

सूखाग्रस्‍त यवतमाल के 3.5 लाख किसानों को मिलेगा बीमा का लाभ

सरकारी अधिकारियों का दावा है कि महाराष्ट्र्र के सूखा-ग्रस्त यवतमाल जिले के करीब 3.53 लाख किसानों को विभिन्न बीमा योजनाओं के तहत 191 करोड़ रुपये का लाभ मिलेगा।

जिला प्रशासन अधिकारियों ने कहा कि बीमा कंपनियों ने कुल 191 करोड़ रपए में से 117 करोड़ रुपये राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना और 74 करोड़ रुपये मौसम आधारित योजना के लिए दिए है। जिला कृषि निरीक्षक अधिकारी दत्तात्रोय गायकवाड़ ने बताया कि बीमा कंपनियों से दो योजनाओं के लिए 191 करोड़ रुपये की राशि मिली है और यह धन किसानों के बैंक खातों में जल्दी हस्तांतरित कर दिया जाएगा।