मंगलवार, 30 मई 2023

संघर्ष


  • गन्ने के रेट में 10 रुपये की बढ़ोतरी पर ही राजी हुए चढ़ूनी, आंदोलन खत्म करने का किया एलान!

    हरियाणा सरकार की ओर से गन्ने के लिए एसएपी में 10 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी के एक दिन बाद, भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) ने गन्ने की कीमतों के लिए अपना विरोध बंद कर दिया है और चीनी मिलों की आपूर्ति फिर से शुरू करने का फैसला किया है. बुधवार को सीजन के लिए एसएपी बढ़ाकर 372 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया था,जबकि किसान 450 रुपये प्रति क्विंटल की मांग कर रहे थे. 20 जनवरी से आपूर्ति बंद कर दी गई थी, जिससे चीनी मिलों में कामकाज ठप हो गया था.

    कृषि कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने के बाद, बीकेयू (चढ़ूनी) के नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा, “सरकार द्वारा बढ़ाया गया SAP अपर्याप्त था, लेकिन गन्ने को खेतों में खड़ा नहीं छोड़ा जा सकता है. किसानों को किसी तरह का आर्थिक नुकसान न हो, इसके लिए जनभावनाओं को देखते हुए चीनी मिलों को आपूर्ति फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है. हालांकि, अगर एसकेएम गन्ने की कीमतों को लेकर आंदोलन का आह्वान करता है, तो यूनियन एसकेएम को अपना समर्थन देगी."

    वहीं बीकेयू (चढ़ूनी) द्वारा आंदोलन को वापस लेने का निर्णय भाजपा के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है क्योंकि किसानों ने इससे पहले 29 जनवरी को गोहाना में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैली के दौरान विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया था.

    गुरनाम चढ़ूनी ने कहा, "यह भी तय किया गया है कि अमित शाह की रैली के दौरान कोई प्रदर्शन नहीं किया जाएगा. लेकिन आने वाले चुनावों में बीजेपी का विरोध करने का भी सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है."

    By टीम, गांव-सवेरा 2 घंटे पहले
  • गन्ने की कीमत बढ़ाने की मांग को लेकर किसानों ने दूसरे दिन भी जड़ा शुगर मिलों पर ताला!

    हरियाणा सरकार ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अखिरी दिन प्रदेश में गन्ने के दाम बढ़ाने की विपक्ष की मांग को नहीं माना था. गन्ने के दाम में बढ़ोतरी न होने से प्रदेश के किसान आक्रोषित हैं. जिसको लेकर आज नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी के नेतृत्व में भारतीय किसान यूनियन चढूनी ने प्रदेश की सभी शुगरमिलों को बंद

    पिछले कईं दिनों से किसानों ने गन्ने की छिलाई बंद कर रखी है और किसान नेताओं की ओर से जारी कार्यक्रम के तहत प्रदेशभर की शुगर मिलों पर तालाबंदी की गई है. किसानों ने पानीपत ,फफड़ाना ,करनाल ,भादसोंभाली आनंदपुर शुगर मिल व महम शुगर मिल पर भी सुबह 9 बजे ताला लगाते हुए धरना शुरू किया. साथ ही जो भी गन्ने की ट्राली मिल पर पहुंची, उन्हें वापस लौटा दिया. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार किसानों की मांग पूरी नहीं करती, तब तक शुगर मिलों को बंद रखते हुए प्रदर्शन किया जाएगा.

    किसानों ने अम्बाला में नारायणगढ़ शुगर मिल के बाहर धरना दिया. सोनीपत के गोहाना में आहुलाना शुगर मिल पर ताला जड़कर किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की तो वहीं किसानों का शाहबाद शुगर मिल और करनाल शुगर मिल पर भी धरना जारी है.

    किसान गन्ने के रेट को बढ़ाकर 450 रुपए करने की मांग कर रहे हैं. बता दें कि पंजाब में गन्ना किसानों को 380 रुपये प्रति किवंटल का रेट मिल रहा है.

    दो दिन पहले किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने ट्वीट किया था, "आज रात के बाद कोई भी किसान भाई किसी भी शुगर मिल में अपना गन्ना लेकर ना जाए अगर कोई किसी नेता या अधिकारी का नजदीकी या कोई अपना निजी फायदा उठाने के लिए शुगर मिल में भाईचारे के फैसले के विरुद्ध गन्ना ले जाता है और कोई उसका नुकसान कर देता है तो वह अपने नुकसान का खुद जिम्मेदार होगा."

    https://twitter.com/GurnamsinghBku/status/1616083078006603778?s=20&t=AXRGgpLAEWwUamYbAfCq5g

    किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने आज लिखा, "हरियाणा के सभी शुग़रमिल बंद करने पर सभी पदाधिकारियों व किसान साथियों का धन्यवाद, अगर सरकार 23 तारीख़ तक भाव नहीं बढ़ाती तो आगे की नीति 23 तारीख़ जाट धर्मशाला में बनायी जाएगी."

    https://www.youtube.com/watch?v=Ez2xsg9KNWQ
    सोनीपत गन्ना मिल के बाहर किसानों का प्रदर्शन.

    By टीम, गांव-सवेरा 2 घंटे पहले
  • आजमगढ़: जमीन अधिग्रहण के खिलाफ 100 दिन से किसानों का आंदोलन जारी!

    उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में संयुक्त किसान मोर्चा समेत कईं किसान संगठन पिछले 100 दिनों से आजमगढ़ मंडुरी हवाई अड्डे के विस्तार के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने पूर्वी यूपी के सभी किसानों से आजमगढ़ के धरने में शामिल होने का आह्वान किया है. वहीं धरना स्थल पर मौजूद किसानों ने आरोप लगाया कि 'मोदी सरकार निजीकरण के नाम पर लगातार सरकार और सार्वजनिक संस्थानों को पूंजीपतियों को बेच रही है, जिससे जनता का इस सरकार पर से विश्वास उठ गया है.'

    किसान संगठनों का आरोप है कि हवाई पट्टी, मंडी, हाईवे, एक्सप्रेसवे के नाम पर नए सामंत, बड़े जमींदार बनाए जा रहे हैं. उनका कहना है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में किसानों और मजदूरों को सबसे सस्ता और लाचार मजदूर बना दिया गया है और अब तैयारी उनके सम्मान और स्वाभिमान को छीन कर उन्हें बंधुआ मजदूर बनाने की है.

    धरना-प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए जमीन और मकान नहीं छोड़ेंगे. किसानों कि मांग है कि हवाई अड्डे का मास्टर प्लान रदद् किया जाए. वहीं रविवार को एक बार फिर बड़े स्तर पर संयुक्त किसान मोर्चा पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसान नेता और किसान धरना स्थल पर जुटेंगे. वहीं इस बीच आजमगढ़ आंदोलन में जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे एक बुजुर्ग किसान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है वीडियो में बुजुर्ग किसान जमीन छीन जाने के डर से रोते हुए नजर आ रहे हैं.

    By टीम, गांव-सवेरा 2 घंटे पहले
  • अंतर्राष्ट्रीय पहलवानों का कुश्ती फेडरेशन के खिलाफ जंतर-मंतर पर धरना!

    अंतर्राष्ट्रीय पहलवान ओलपिंक पदक विजेता बजरंग पुनिया समेत भारत के शीर्ष पहलवान विनेश फोगाट, साक्षी मलिक, संगीता फोगाट, सोनम मलिक और अंशु ने जंतर-मंतर पर भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) की मनमानी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. खिलाड़ी, भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बीजेपी सांसद ब्रजभूषण शरण का विरोध कर रहे हैं.

    पहलवान बजरंग पुनिया ने ट्वीट करते हुए लिखा, "खिलाड़ी पूरी मेहनत कर के देश को मेडल दिलाता हैं लेकिन फेडरेशन ने हमें नीचा दिखाने के अलावा कुछ नहीं किया. मनचाहे क़ायदे क़ानून लगा कर खिलाड़ियों को प्रताड़ित किया जा रहा है.

    https://twitter.com/BajrangPunia/status/1615598045844078594?s=20&t=lREg2PSdtt7kZ9pXopA9Jw

    ओलंपिक पदक विजेता पहलवान ने कहा, पहलवानों ने चुपचाप बहुत कुछ झेला है लेकिन अब हमने तय किया है कि भारतीय कुश्ती महासंघ द्वारा लिए जा रहे एकतरफा फैसलों के खिलाफ अब हम चुप नहीं रहेंगे. भारत के सभी शीर्ष पहलवान तब तक राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग नहीं लेंगे जब तक कि हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं और भारतीय कुश्ती महासंघ द्वारा हमारे साथ बेहतर व्यवहार नहीं किया जाता.

    वहीं कुश्ती फेडरेशन पर निशाना साधते हुए एक और ट्वीट में लिखा कि, "फेडरेशन का काम खिलाड़ियों का साथ देना, उनकी खेल की जरूरतों का ध्यान रखना होता है. कोई समस्या हो तो उसका निदान करना होता है. लेकिन अगर फेडरेशन ही समस्या खड़ी करे तो क्या किया जाए? अब लड़ना पड़ेगा, हम पीछे नहीं हटेंगे."

    https://twitter.com/BajrangPunia/status/1615602236197048320?s=20&t=lREg2PSdtt7kZ9pXopA9Jw

    वहीं महिला पहलवान विनेश फोगाट ने ट्वीट करते हुए लिखा खिलाड़ी आत्मसम्मान चाहता है और पूरी शिद्दत के साथ ओलंपिक और बड़े खेलो के लिए तैयारी करता है लेकिन अगर फेडरेशन उसका साथ ना दे मनोबल टूट जाता है।लेकिन अब हम नही झुकेंगे. अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे.

    https://twitter.com/Phogat_Vinesh/status/1615601570229682178?s=20&t=jL3Er8Di50f4N2HII8y9wQ

    By टीम, गांव-सवेरा 2 घंटे पहले
  • उप मुख्यमंत्री दुष्यत चौटाला के गांव के लोगों का सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, पैदल मार्च करते हुए करनाल पहुंचे ग्रामीण!

    पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल और प्रदेश के मौजूदा उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के गांव के लोग सड़कों पर पैदल मार्च करने को मजबूर हैं. सिरसा जिले के चौटाला गांव के ग्रामीणों ने गांव में खराब स्वास्थ्य सुविधाओं के खिलाफ करनाल में मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय के बाहर धरना दिया.

    बता दें कि चौटाला गांव से पांच विधायक ऐसे हैं, जो 2019 के विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. इनमें इनेलो के अभय चौटाला, उनके पूर्व भतीजे और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, दुष्यंत की मां नैना सिंह चौटाला, ऊर्जा मंत्री रंजीत चौटाला, जो इनेलो संरक्षक ओम प्रकाश चौटाला के भाई हैं, और कांग्रेस के अमित सिहाग शामिल हैं.

    चौटाला गांव से करीबन 300 किमी पैदल चलकर करनाल पहुंचे ग्रामीणों ने सीएम कैंप कार्यालय के पास अपना विरोध प्रदर्शन किया. ग्रामीणों ने कैंप कार्यालय का घेराव करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हे आगे नहीं बढ़ने दिया. प्रदर्शनकारी ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने चौटाला में सीएचसी के बाहर लगभग तीन सप्ताह तक धरना दिया जिसपर कोई सुनवाई नहीं हुई जिसके बाद हम लोग अपने गांव से करनाल तक करीबन 300 किलोमीटर पैदल मार्च करने को मजबूर हुए हैं.

    अंग्रेजी अखबार 'दैनिक ट्रिब्यून' में छपी खबर के अनुसार विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले राकेश कुमार ने कहा, "सीएचसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में खराब स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण हाल के महीनों में चार नवजात शिशुओं की मौत हुई है. सीएचसी में विशेषज्ञ व पैरा मेडिकल स्टाफ के कई पद खाली पड़े हैं, जिसके कारण गांववासियों को उचित स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि सीएचसी केवल एक रेफरल सेंटर बन गया था क्योंकि वहां कोई रेडियोग्राफर, बाल रोग विशेषज्ञ और स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं था."

    उन्होंने कहा, “हमने सीएचसी के बाहर एक धरना दिया जिसमें समाज के सभी वर्गों ने अपना समर्थन दिया. जब जिले के किसी भी वरिष्ठ अधिकारी ने हमारी मांग पर ध्यान नहीं दिया, तो हमें 21 दिसंबर को करनाल में सीएम कैंप कार्यालय तक मार्च करना पड़ा."

    By टीम, गांव-सवेरा 2 घंटे पहले