हरियाणा: बिजली विभाग में लाखों का गबन!

भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली हरियाणा की बीजेपी सरकार में आए दिन नये घोटाले सामने आ रहे हैं. इस बार हरियाणा सरकार के बिजली विभाग में लाखों रुपये के गबन का मामला सामने आया है. मुख्यमंत्री उड़न दस्ते ने बिजली विभाग में हुए घोटाले का खुलासा किया है. मंगलवार को रोहतक, झज्जर, भिवानी और चरखी दादरी जिले में बिजली विभाग के रिकॉर्ड का औचक निरीक्षण किया गया था जिसमें विभाग के अधिकारियों द्वारा करीबन 72 लाख का घोटाला करने की बात निकल कर आई है.

डीएसपी संदीप गुलिया की निगरानी में की गई छापेमारी के बाद जारी प्रेस बयान में कहा गया, “रोहतक में बिजली विभाग के उप-नगरीय मंडल के रिकॉर्ड की जांच के दौरान मिली ऑडिट रिपोर्ट में घोटाला उजागर हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार, करीबन 72 लाख रुपये की राशि वाली 164 एंट्री का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला, वहीं 6.32 लाख रुपये के अतिरिक्त रिफंड भी किए गए हैं.”

बता दें कि पिछले हफ्ते ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल के करीबी अधिकारी पर जमीन घोटाले के गंभीर आरोप लगे हैं जिसमें खुलासा हुआ है कि करोड़ों की जमीन औने-पौने दामों में अधिकारी के बेटों के नाम करवाई गई थी.

पंजाब: ‘अग्निपथ भर्ती’ को सहयोग न मिलने के कारण सेना अधिकारी ने दी भर्ती रद्द करने की चेतावनी!

जालंधर में सेना के जोनल भर्ती अधिकारी ने स्थानीय नागरिक प्रशासन का समर्थन नहीं मिलने का हवाला देते हुए पंजाब सरकार से कहा है कि राज्य में अग्निपथ योजना के तहत भर्ती रैलियों को या तो स्थगित किया जा सकता है या पड़ोसी राज्य में स्थानांतरित किया जा सकता है.

8 सितंबर को जालंधर के जोनल भर्ती अधिकारी मेजर जनरल शरद बिक्रम सिंह ने पंजाब के मुख्य सचिव को पत्र लिखते हुए कहा कि, “हम यह जानकारी आपके ध्यान लाना चाहते हैं कि हमें बिना किसी स्पष्टता के स्थानीय नागरिक प्रशासन का समर्थन नहीं मिल रहा है. स्थानीय प्रशासन आमतौर पर राज्य सरकार के निर्देश न होने और धन की कमी के कारण सहयोग न कर पाने की बत कह रहा है.”

अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी रिपोर्ट के अनुसार पत्र में लिखा है कि, “कुछ जरूरी आवश्यकताएं हैं जिन्हें स्थानीय प्रशासन की ओर से भर्ती रैलियां आयोजित करने के लिए मुहैया किया जाना चाहिए. इनमें कानून-व्यवस्था के लिए पुलिस सहायता, सुरक्षा, भीड़ नियंत्रण, बैरिकेडिंग और उम्मीदवारों का सुगम प्रवेश सुनिश्चित करना शामिल हैं.”

सेना अधिकारी की ओर से लिखे पत्र में रैली के दौरान प्रशासन द्वारा चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए भी कहा गया है. इसके अलावा जिस स्थान पर रैली आयोजित होनी है, वहां प्रशासन द्वारा 14 दिन के लिए 3-4 हजार उम्मीदवारों के लिए खाना, पानी, शौचालय आदि सुविधाओं का प्रबंधन किए जाने की भी मांग की गई है.

पत्र में चेतावनी दी गई है कि जब तक इन व्यवस्थाओं के लिए स्पष्ट प्रतिबद्धता नहीं दिखाई जाती है, वे राज्य में भविष्य में होने वाली सभी भर्ती रैलियों और प्रक्रियाओं पर स्थगन के लिए सेना मुख्यालय के समक्ष मामला उठाएंगे या वैकल्पिक तौर पर पड़ोसी राज्यों में रैलियां आयोजित करेंगे.

वहीं इस मामले पर प्रमुख सचिव कुमार राहुल ने अंग्रेजी अखबार को बताया कि गुरदासपुर में कुछ समस्याएं सामने आई थीं, लेकिन उनमें कुछ भी गंभीर नहीं था. उन्होंने कहा, “मैंने जनरल से बात की है. उन्होंने मुझे गुरदासपुर की कुछ समस्याओं के बारे में बताया, लेकिन इनमें कुछ भी गंभीर नहीं है. सब कुछ ठीक है और रैलियों के सुचारू आयोजन के लिए सभी उपाय किए जा रहे हैं”

फिर बढ़े रसोई गैस के दाम, 15 रुपये की बढ़ोतरी के साथ नौ सौ पार हुआ एलपीजी सिलेंडर!

सरकार ने एक बार फिर से जनता पर महंगाई का चाबूक चलाते हुए रिसोई गैस सिंलेडर की कीमत में बढ़ोतरी की है. एक ओर लोग कोरोना माहामारी के कारण आए बेरोजगारी और आर्थिक संकट से नहीं ऊभर पा रहे हैं वहीं दूसरी ओर सरकार आम जनता को राहत देने के बजाए महंगाई बढ़ाने पर उतारू है. पट्रोल डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद अब घरेलू रसोई गैस सिलेंडर के दाम में भी 15 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. 15 रुपये की बढ़ोतरी के साथ दिल्ली में बिना सब्सिडी वाले 14.2 किलो के सिलेंडर की कीमत बढ़कर 899.50 रुपये हो गई है.

वहीं हरियाणा में रसोई गैस सिलेंडर की कीमत पहले से ही नौ सौ के पार है. हरियाणा में एक एलपीजी सिलेंडर की कीमत 15 रुपये बढ़कर 916.80 रुपये हो गई है. पिछले तीन महीनों से लगातार रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है.

इससे पहले 17 अगस्त को 859.50 रुपये में 25 रुपये की बढ़ोतरी के साथ एक सिलेंडर की कीमत 844.50 रुपये हुई थी. उससे पहले एक जुलाई को भी 25 रुपये की बढ़ोतरी हुई थी.

सरकार ने पिछले सप्ताह नेचुरल गैस की कीमतों में 62 फीसदी की बढ़ोतरी की थी तभी से एलपीजी और सीएनजी के दामों में भी बढ़ोतरी होने का अंदेशा लगाया जा रहा था. वहीं पिछले एक सप्ताह में पेट्रोल के दाम दो बार और डीजल की कीमत पांच बार बढ़ाई जा चुकी है.

सरकार के नये नियमों के तहत तेल कंपनियां हर महीने एलपीजी सिलेंडर के दामों की समीक्षा करती हैं. राज्यों में अलग-अलग टैक्स होने के चलते एलपीजी के दामों में अंतर रहता है.

भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ी सुमित वाल्मीकि का ढाबे पर काम करने से लेकर टोक्यो ओलंपिक तक का सफर!

टोक्यो ओलंपिक में देश को कांस्य पदक दिलाने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम के मिडफिल्डर सुमित वाल्मीकि का बचपन बेहद गरीबी और अभावों में बीता है. सुमित वाल्मीकि हरियाणा के सोनीपत से 5 किलोमीटर दूर गांव कुराड़ के रहने वाले हैं. सुमित बचपन से ही खेलकूद में दिलचस्पी रखते थे. सुमित के गांव कुराड़ से लेकर टोक्यो तक के सफर में उनके परिवार और कोच का बहुत बड़ा योगदान रहा है. दलित समुदाय के वाल्मीकि समाज से आने वाले सुमित वाल्मीकि के लिए हॉकी की राष्ट्रीय टीम में देश के लिए ओलंपिक खेलना सपने से कम नहीं था.

सुमित के बड़े भाई अमित ने बताया, “सुमित को पहली बार टीवी पर इंडिया की नीली जर्सी पहने हुए देखा तो पूरा परिवार भावुक हो गया था. सुमित की कोई भी डिमांड नहीं रहती है. वह जब भी घर आता है तो किसी तरह की डाइट को लेकर डिमांड नहीं रखता है. घर में जैसा खाना बना हो हमारे साथ बैठकर खा लेता है. सुमित अपने खेल को लेकर बहुत समर्पित है. सोशल मीडिया से दूर रहता है. मां के साथ सुमित का बहुत लगाव था. सुमित ने मां से वादा किया था कि वह देश के लिए मेडल लेकर आएगा.”

सुमित के परिवार में उनके पिता प्रताप सिंह, दो बड़े भाई, भाभी और एक बड़ी बहन हैं.      

टोक्यो ओलंपिक में मैच के दौरान सुमित अपनी मां की फोटो लगी लाकेट पहन कर मैदान में उतरे थे. ओलंपिक से करीब छह महीने पहले सुमित की मां दर्शना देवी का निधन हो गया था. सुमित के बड़े भाई ने बताया कि मां का सपना था कि सुमित ओलंपिक में खेले. सुमित ने ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर मां का सपना पूरा किया है. मां के प्रति सुमित का बेहद लगाव था.  

हॉकी खिलाड़ी सुमित वाल्मिकी का बचपन गांव में बेहद गरीबी में बीता है. सुमित के पिता प्रताप सिंह और उनके बड़े भाई ने सोनीपत से लगते मुरथल के ढाबों पर दिहाड़ी-मजदूरी करके परिवार को आगे बढ़ाया है. वहीं सुमित ने भी अपने पिता और दो भाईयों के साथ मिलकर मुरथल के ढाबों पर मजदूरी की है. 

सुमित ने 2017 में सुलतान अजलान शाह कप से अंतरराष्ट्रीय खेल की शुरुआत की थी. सुमित वाल्मीकि के शानदार प्रदर्शन की बदौलत भारत ने 2016 में जूनियर हॉकी का वर्ल्ड कप अपने नाम किया. उनकी कामयाबी में एशियाई कप से लेकर एशियन चैंपियनशिप का मेडल भी शामिल है. इसके अलावा जोहर कप और सुल्तान अजलान शाह हॉकी टूर्नामेंट में भी सुमित वाल्मीकि की हॉकी स्टिक अपना कमाल दिखा चुकी है.

टोक्यो ओलंपिक में जर्मनी के खिलाफ शानदार प्रदर्शन कर कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ी सुमित वाल्मीकि को हरियाणा सरकार ने बी क्साल की सरकारी नौकरी और ढ़ाई करोड़ देने का एलान किया है.

हरियाणा सरकार के नौकरी के एलान पर सुमित वाल्मीकि के बड़े भाई अमित ने कहा, “हरियाणा की ओर से सुमित को ए-क्लास नौकरी दी जानी चाहिए क्योंकि बी-क्लास की नौकरी तो उसके पास पहले से है. हम सीएम मनोहर लाल खट्टर से मांग करेंगे कि सुमित को हरियाणा में ए-क्लास की सरकारी नौकरी दी जाए.” 

सुमित वाल्मीकि की खासियत है उनका मैदान पर दौड़ने का स्टेमिना. सुमित मैदान में अभ्यास के दौरान सबसे ज्यादा पसीना बहाने वाले खिलाड़ियों में से हैं. मैच के दौरान सुमित मैदान में एक छोर से दूसरे छोर पर दौड़ते नजर आते हैं.

सुमित ने 6 साल की उम्र से ही गांव में स्कूल के मैदान में खेलना शुरू कर दिया था. गांव कुराड़ के ही रहने वाले कोच नरेश अंतिल ने सुमित वाल्मीकि को हॉकी के शुरुआती गुर सिखाए. गांव-सवेरा से बात करते हुए सुमित वाल्मीकि के कोच नरेश अंतिल ने बताया, “सुमित 6 साल का था जब मेरे पास आया था. उन दिनों हमने गांव में हॉकी एकेडमी की शुरुआत की थी. सुमित मेरे पास आकर बैठ गया और बोला कि मैं भी खेलना चाहता हूं. मैनें कहा, ठीक है कल से आ जाना लेकिन उसने शर्माते हुए कहा कि मेरे पास निक्कर और जूते नहीं हैं. उसके बाद हमने सुमित को जूते और निक्कर देकर हॉकी खेलाना शुरू किया.

कोच नरेश अंतिल ने आगे बताया,“सुमित बहुत ही शांत स्वभाव का जेंटल लड़का है. वह हमेशा समय से पहले मैदान में पहुंच जाता था. उसने कभी भी डांट खाने का काम नहीं किया.सुमित के खेल से जुड़ी बारीकियों पर उन्होने कहा कि सुमित मिडफिल्ड का खिलाड़ी है. मिडफील्ड पर बहुत ज्याद स्टेमिना वाले खिलाड़ी ही अपना बेहतरीन दे पाते हैं. मिडफील्ड के खिलाड़ी को मैदान के दोनों ओर दौड़ना पड़ता है. सुमित का फिटनेश लेवल बहुत शानदार है. फिटनेश के मामले में सुमित टीम में टॉप पांच में रहता है.”

“सुमित दो बार की चोट और अपनी मां के स्वर्गवास के बाद कुल तीन बार टीम में वापसी कर चुका है.गांव में सुमित का व्यवहार बहुत अच्छा है वह जब भी गांव आता है तो सभी लोगों से मिलता-जुलता है. सुमित को भी पूरे गांव से भरपूर प्यार मिलता है.”    

मध्य प्रदेश : ना भाव, ना भावांतर

मध्य प्रदेश में सोयाबीन की फसल कटने लगी हैं, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर सरकारी खरीद ना शुरू होने से किसान अपनी उपज औने-पौने दाम पर बेच रहे हैं। देखिए इंदौर से पुष्पेंद्र वैद्य की रिपोर्ट