ट्रैक्टरों के साथ फिर दिल्ली जाएंगे किसान, बजट सत्र में करेंगे संसद मार्च!

26 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर हरियाणा के जींद में हुई किसान महापंचायत में बड़ी संख्या में किसान जुटे किसानों ने इस किसान महापंचायत के जरिए मुख्य रूप से गन्ना किसानों के लिए गन्ने का रेट 450 रुपये करने की मांग की. वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने बजट सत्र के दौरान 15 से 22 मार्च के बीच मार्च टू पार्लियामेंट का आयोजन करने का प्रस्ताव पास किया. दिल्ली संसद मार्च की तारीख का एलान 9 फरवरी को कुरुक्षेत्र की मीटिंग में किया जाएगा.

वहीं किसान महापंचात में जुटे बड़े किसान नेताओं ने खेती किसानी से जुड़े मुख्य मुद्दों को हासिल करने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर आंदोलन तेज करने की बात कही. किसान महापंचायत में केंद्र की मोदी सरकार पर लिखित आश्वासन के बावजूद पीछे हटने का आरोप लगाया गया.

जींद में हुई किसान महापंचायत में किसान नेताओं ने मंच से किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी प्राप्त करने, लखीमपुर खीरी हत्याकांड के आरोपी राज्य मंत्री अजय मिश्रा को हटाने और उसके बेटे आशीष मिश्रा को सजा दिलाने, बिजली संशोधन विधेयक-2022 को वापस करवाने और कर्जमाफी जैसे मुद्दों पर कमर कसने का आह्वान किया. यह घोषणा की गई कि बजट सत्र के दौरान 15 से 22 मार्च के बीच मार्च टू पार्लियामेंट का आयोजन किया जाएगा. सटीक तिथि की घोषणा 9 फरवरी को कुरुक्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर की एसकेएम बैठक में की जाएगी.

गन्ने के रेट में 10 रुपये की बढ़ोतरी पर ही राजी हुए चढ़ूनी, आंदोलन खत्म करने का किया एलान!

हरियाणा सरकार की ओर से गन्ने के लिए एसएपी में 10 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी के एक दिन बाद, भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) ने गन्ने की कीमतों के लिए अपना विरोध बंद कर दिया है और चीनी मिलों की आपूर्ति फिर से शुरू करने का फैसला किया है. बुधवार को सीजन के लिए एसएपी बढ़ाकर 372 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया था,जबकि किसान 450 रुपये प्रति क्विंटल की मांग कर रहे थे. 20 जनवरी से आपूर्ति बंद कर दी गई थी, जिससे चीनी मिलों में कामकाज ठप हो गया था.

कृषि कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने के बाद, बीकेयू (चढ़ूनी) के नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा, “सरकार द्वारा बढ़ाया गया SAP अपर्याप्त था, लेकिन गन्ने को खेतों में खड़ा नहीं छोड़ा जा सकता है. किसानों को किसी तरह का आर्थिक नुकसान न हो, इसके लिए जनभावनाओं को देखते हुए चीनी मिलों को आपूर्ति फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है. हालांकि, अगर एसकेएम गन्ने की कीमतों को लेकर आंदोलन का आह्वान करता है, तो यूनियन एसकेएम को अपना समर्थन देगी.”

वहीं बीकेयू (चढ़ूनी) द्वारा आंदोलन को वापस लेने का निर्णय भाजपा के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है क्योंकि किसानों ने इससे पहले 29 जनवरी को गोहाना में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैली के दौरान विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया था.

गुरनाम चढ़ूनी ने कहा, “यह भी तय किया गया है कि अमित शाह की रैली के दौरान कोई प्रदर्शन नहीं किया जाएगा. लेकिन आने वाले चुनावों में बीजेपी का विरोध करने का भी सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है.”

गन्ने की कीमत बढ़ाने की मांग को लेकर किसानों ने दूसरे दिन भी जड़ा शुगर मिलों पर ताला!

हरियाणा सरकार ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अखिरी दिन प्रदेश में गन्ने के दाम बढ़ाने की विपक्ष की मांग को नहीं माना था. गन्ने के दाम में बढ़ोतरी न होने से प्रदेश के किसान आक्रोषित हैं. जिसको लेकर आज नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी के नेतृत्व में भारतीय किसान यूनियन चढूनी ने प्रदेश की सभी शुगरमिलों को बंद

पिछले कईं दिनों से किसानों ने गन्ने की छिलाई बंद कर रखी है और किसान नेताओं की ओर से जारी कार्यक्रम के तहत प्रदेशभर की शुगर मिलों पर तालाबंदी की गई है. किसानों ने पानीपत ,फफड़ाना ,करनाल ,भादसोंभाली आनंदपुर शुगर मिल व महम शुगर मिल पर भी सुबह 9 बजे ताला लगाते हुए धरना शुरू किया. साथ ही जो भी गन्ने की ट्राली मिल पर पहुंची, उन्हें वापस लौटा दिया. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार किसानों की मांग पूरी नहीं करती, तब तक शुगर मिलों को बंद रखते हुए प्रदर्शन किया जाएगा.

किसानों ने अम्बाला में नारायणगढ़ शुगर मिल के बाहर धरना दिया. सोनीपत के गोहाना में आहुलाना शुगर मिल पर ताला जड़कर किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की तो वहीं किसानों का शाहबाद शुगर मिल और करनाल शुगर मिल पर भी धरना जारी है.

किसान गन्ने के रेट को बढ़ाकर 450 रुपए करने की मांग कर रहे हैं. बता दें कि पंजाब में गन्ना किसानों को 380 रुपये प्रति किवंटल का रेट मिल रहा है.

दो दिन पहले किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने ट्वीट किया था, “आज रात के बाद कोई भी किसान भाई किसी भी शुगर मिल में अपना गन्ना लेकर ना जाए अगर कोई किसी नेता या अधिकारी का नजदीकी या कोई अपना निजी फायदा उठाने के लिए शुगर मिल में भाईचारे के फैसले के विरुद्ध गन्ना ले जाता है और कोई उसका नुकसान कर देता है तो वह अपने नुकसान का खुद जिम्मेदार होगा.”

किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने आज लिखा, “हरियाणा के सभी शुग़रमिल बंद करने पर सभी पदाधिकारियों व किसान साथियों का धन्यवाद, अगर सरकार 23 तारीख़ तक भाव नहीं बढ़ाती तो आगे की नीति 23 तारीख़ जाट धर्मशाला में बनायी जाएगी.”

सोनीपत गन्ना मिल के बाहर किसानों का प्रदर्शन.

आजमगढ़: जमीन अधिग्रहण के खिलाफ 100 दिन से किसानों का आंदोलन जारी!

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में संयुक्त किसान मोर्चा समेत कईं किसान संगठन पिछले 100 दिनों से आजमगढ़ मंडुरी हवाई अड्डे के विस्तार के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने पूर्वी यूपी के सभी किसानों से आजमगढ़ के धरने में शामिल होने का आह्वान किया है. वहीं धरना स्थल पर मौजूद किसानों ने आरोप लगाया कि ‘मोदी सरकार निजीकरण के नाम पर लगातार सरकार और सार्वजनिक संस्थानों को पूंजीपतियों को बेच रही है, जिससे जनता का इस सरकार पर से विश्वास उठ गया है.’

किसान संगठनों का आरोप है कि हवाई पट्टी, मंडी, हाईवे, एक्सप्रेसवे के नाम पर नए सामंत, बड़े जमींदार बनाए जा रहे हैं. उनका कहना है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में किसानों और मजदूरों को सबसे सस्ता और लाचार मजदूर बना दिया गया है और अब तैयारी उनके सम्मान और स्वाभिमान को छीन कर उन्हें बंधुआ मजदूर बनाने की है.

धरना-प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए जमीन और मकान नहीं छोड़ेंगे. किसानों कि मांग है कि हवाई अड्डे का मास्टर प्लान रदद् किया जाए. वहीं रविवार को एक बार फिर बड़े स्तर पर संयुक्त किसान मोर्चा पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसान नेता और किसान धरना स्थल पर जुटेंगे. वहीं इस बीच आजमगढ़ आंदोलन में जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे एक बुजुर्ग किसान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है वीडियो में बुजुर्ग किसान जमीन छीन जाने के डर से रोते हुए नजर आ रहे हैं.

अंतर्राष्ट्रीय पहलवानों का कुश्ती फेडरेशन के खिलाफ जंतर-मंतर पर धरना!

अंतर्राष्ट्रीय पहलवान ओलपिंक पदक विजेता बजरंग पुनिया समेत भारत के शीर्ष पहलवान विनेश फोगाट, साक्षी मलिक, संगीता फोगाट, सोनम मलिक और अंशु ने जंतर-मंतर पर भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) की मनमानी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. खिलाड़ी, भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बीजेपी सांसद ब्रजभूषण शरण का विरोध कर रहे हैं.

पहलवान बजरंग पुनिया ने ट्वीट करते हुए लिखा, “खिलाड़ी पूरी मेहनत कर के देश को मेडल दिलाता हैं लेकिन फेडरेशन ने हमें नीचा दिखाने के अलावा कुछ नहीं किया. मनचाहे क़ायदे क़ानून लगा कर खिलाड़ियों को प्रताड़ित किया जा रहा है.

ओलंपिक पदक विजेता पहलवान ने कहा, पहलवानों ने चुपचाप बहुत कुछ झेला है लेकिन अब हमने तय किया है कि भारतीय कुश्ती महासंघ द्वारा लिए जा रहे एकतरफा फैसलों के खिलाफ अब हम चुप नहीं रहेंगे. भारत के सभी शीर्ष पहलवान तब तक राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग नहीं लेंगे जब तक कि हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं और भारतीय कुश्ती महासंघ द्वारा हमारे साथ बेहतर व्यवहार नहीं किया जाता.

वहीं कुश्ती फेडरेशन पर निशाना साधते हुए एक और ट्वीट में लिखा कि, “फेडरेशन का काम खिलाड़ियों का साथ देना, उनकी खेल की जरूरतों का ध्यान रखना होता है. कोई समस्या हो तो उसका निदान करना होता है. लेकिन अगर फेडरेशन ही समस्या खड़ी करे तो क्या किया जाए? अब लड़ना पड़ेगा, हम पीछे नहीं हटेंगे.”

वहीं महिला पहलवान विनेश फोगाट ने ट्वीट करते हुए लिखा खिलाड़ी आत्मसम्मान चाहता है और पूरी शिद्दत के साथ ओलंपिक और बड़े खेलो के लिए तैयारी करता है लेकिन अगर फेडरेशन उसका साथ ना दे मनोबल टूट जाता है।लेकिन अब हम नही झुकेंगे. अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे.

उप मुख्यमंत्री दुष्यत चौटाला के गांव के लोगों का सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, पैदल मार्च करते हुए करनाल पहुंचे ग्रामीण!

पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल और प्रदेश के मौजूदा उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के गांव के लोग सड़कों पर पैदल मार्च करने को मजबूर हैं. सिरसा जिले के चौटाला गांव के ग्रामीणों ने गांव में खराब स्वास्थ्य सुविधाओं के खिलाफ करनाल में मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय के बाहर धरना दिया.

बता दें कि चौटाला गांव से पांच विधायक ऐसे हैं, जो 2019 के विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. इनमें इनेलो के अभय चौटाला, उनके पूर्व भतीजे और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, दुष्यंत की मां नैना सिंह चौटाला, ऊर्जा मंत्री रंजीत चौटाला, जो इनेलो संरक्षक ओम प्रकाश चौटाला के भाई हैं, और कांग्रेस के अमित सिहाग शामिल हैं.

चौटाला गांव से करीबन 300 किमी पैदल चलकर करनाल पहुंचे ग्रामीणों ने सीएम कैंप कार्यालय के पास अपना विरोध प्रदर्शन किया. ग्रामीणों ने कैंप कार्यालय का घेराव करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हे आगे नहीं बढ़ने दिया. प्रदर्शनकारी ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने चौटाला में सीएचसी के बाहर लगभग तीन सप्ताह तक धरना दिया जिसपर कोई सुनवाई नहीं हुई जिसके बाद हम लोग अपने गांव से करनाल तक करीबन 300 किलोमीटर पैदल मार्च करने को मजबूर हुए हैं.

अंग्रेजी अखबार ‘दैनिक ट्रिब्यून’ में छपी खबर के अनुसार विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले राकेश कुमार ने कहा, “सीएचसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में खराब स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण हाल के महीनों में चार नवजात शिशुओं की मौत हुई है. सीएचसी में विशेषज्ञ व पैरा मेडिकल स्टाफ के कई पद खाली पड़े हैं, जिसके कारण गांववासियों को उचित स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि सीएचसी केवल एक रेफरल सेंटर बन गया था क्योंकि वहां कोई रेडियोग्राफर, बाल रोग विशेषज्ञ और स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं था.”

उन्होंने कहा, “हमने सीएचसी के बाहर एक धरना दिया जिसमें समाज के सभी वर्गों ने अपना समर्थन दिया. जब जिले के किसी भी वरिष्ठ अधिकारी ने हमारी मांग पर ध्यान नहीं दिया, तो हमें 21 दिसंबर को करनाल में सीएम कैंप कार्यालय तक मार्च करना पड़ा.”

मनरेगा मजदूरों को नहीं मिली मजदूरी,केंद्र सरकार पर राज्यों का 7500 करोड़ बकाया!

मनरेगा मजदूरों की लंबित राशि का मुद्दा सामने आया है, जिसमें कई संगठनों ने केंद्र सरकार से बकाया भुगतान करने की मांग की. मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) संघर्ष मोर्चा ने केंद्र सरकार पर पश्चिम बंगाल की 7,500 करोड़ रुपये से अधिक की मनरेगा निधि रोकने का आरोप लगाया. नरेगा संघर्ष मोर्चा ने दावा किया कि राज्य में मनरेगा मजदूरों को पिछले साल दिसंबर से मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है और यह उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. संगठन ने लंबित वेतन को तत्काल जारी करने, पूरी अवधि के लिए प्रति दिन 0.05% की दर से देरी के लिए मुआवजे और नए कार्यों और जॉब कार्डों की शुरुआत की मांग की. राज्य के 7,500 करोड़ रुपये के मनरेगा बकाया में से मजदूरों की 2,744 करोड़ रुपये लंबित है.

वहीं मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक सदस्य निखिल डे ने एक ट्वीट में कहा, “आज 1 साल हो गया है जब बीजेपी ने मनरेगा श्रमिकों को पश्चिम बंगाल से मजदूरी का भुगतान नहीं किया है. 1 करोड़ से ज्यादा मजदूरों पर 2,744 करोड़ रुपये बकाया! कानून कहता है 15 दिन में भुगतान करो. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि देरी “जबरन श्रम” है. केंद्र का कहना है कि राज्य भ्रष्ट है- इसलिए काट लें फंड!”

अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम बंगाल के पंचायत मंत्री प्रदीप मजूमदार ने आरोप लगाया कि केंद्र की ओर से राज्य सरकार की मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया है. पंचायत मंत्री ने मजूमदार ने कहा, ”पिछले साल से इस योजना के तहत एक पैसा भी जारी नहीं किया गया है. हम धन की मांग कर रहे हैं लेकिन केंद्र इस मामले को देखने को इच्छुक नहीं है.”

वहीं राज्य सरकार ने कई मौकों पर केंद्र पर मनरेगा योजना और जीएसटी बकाया के तहत राज्य को धन जारी नहीं करने का आरोप लगाया है. इसको लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कई बार पीएम को पत्र भी लिख चुकी हैं.

गैर-लाभकारी संगठन लिबटेक इंडिया की एक रिपोर्ट में पाया गया कि राज्य में इस योजना के तहत काम करने वाले परिवारों की संख्या में गिरावट आई है. कोरोना काल के दौरान 77 लाख से चालू वित्त वर्ष में 16 लाख रह गया है. मनरेगा के साथ मजदूरी में देरी ग्रामीण परिवारों के लिए गंभीर समस्या है. महामारी के दौरान बड़े शहरों से गांव लौटे मजदूरों के लिए मनरेगा एक वरदान साबित हुआ था.

करनाल: गन्ने के दाम नहीं बढ़ाने से आक्रोषित किसान सीएम आवास का घेराव करेंगे!

हरियाणा सरकार ने विधानसभा सत्र के अखिरी दिन प्रदेश में गन्ने के दाम बढ़ाने की विपक्ष की मांग को नहीं माना है. गन्ने के दाम में बढ़ोतरी न होने से प्रदेश के किसान आक्रोषित हैं. जिसको लेकर आज नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी के नेतृत्व में भारतीय किसान यूनियन चढूनी करनाल में मुख्यमंत्री आवास का घेराव कर दो घंटे तक धरना देगी.

इस दौरान किसान, मुख्यमंत्री मनोहर लाल का पुतला भी फूकेंगें. बता दें कि विधानसभा में विपक्ष की मांग को नकारते हुए सरकार ने गन्ने के पुराने दाम 362 रुपए प्रति क्विंटल के आधार पर ही गन्ना खरीदने की अधिसूचना जारी की है. इस अधिसूचना के बाद किसानों के रोष बढ़ता जा रहा है. किसान गन्ने के रेट को बढ़ाकर 450 रुपए करने की मांग कर रहे हैं. बता दें कि पंजाब में गन्ना किसानों को 380 रुपये प्रति किवंटल का रेट मिल रहा है.

वहीं सरकार ने इस मुद्दे पर विधानसभा में गन्ना कमेटी बनाने का फैसला लिया है. दाम न बढ़ाए जाने के विरोध में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा सदन से वॉक आउट कर गए थे.


सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए साल भर नेताओं और सरकारी बाबुओं से भिड़ते रहे किसान!

एक ओर राज्य सरकार साल भर किसानों की आय दोगुनी करने का दावा करते हुए कृषि क्षेत्र के विकास पर जोर देने की बात करती रही वहीं दूसरी ओर किसान खराब फसलों के मुआवजे, एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और खड़े पानी की निकासी जैसे मुद्दों से जूझते रहे. इन सब दिक्कतों के चलते किसान अपनी आय बढ़ाने के प्रयास में नई खेती नहीं अपना सके और गेहूं-और धान चक्र से बाहर निकलने में भी सक्षम नहीं रहे.

हरियाणा सरकार की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट ने भी हरियाणा में कृषि के महत्व की ओर इशारा किया है. रिपोर्ट में कहा गया कि “हालांकि पिछले कुछ वर्षों के दौरान प्रदेश की आर्थिक वृद्धि, उद्योग और सेवा क्षेत्रों की वृद्धि पर ज्यादा निर्भर हो गई है लेकिन हाल के अनुभव बताते हैं कि निरंतर और तीव्र कृषि विकास के बिना उच्च सकल राज्य मूल्य (जीएसवीए) विकास से राज्य में मुद्रास्फीति में तेजी आने की संभावना थी, जिससे बड़ी विकास प्रक्रिया खतरे में पड़ गई. आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021-22 के अग्रिम अनुमानों के अनुसार, कृषि क्षेत्र से जीएसवीए में 2.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.

हिसार क्षेत्र में किसानों ने बेमौसम बारिश और कपास में गुलाबी सुंडी के कारण खरीफ सीजन में हुए फसल के नुकसान के मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन का सहारा लिया. हालांकि कपास के उत्पादन में पिछले साल की तुलना में 30% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अभी बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है.

चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के डिस्टेंस एजुकेशन के पूर्व निदेशक डॉ. राम कुमार ने अंग्रेजी अखबार दैनिक ट्रिब्यून के पत्रकार दिपेंद्र देसवाल को बताया कि सरकार की किसान के लाभ के लिए बनाई गई कई योजनाओं के बावजूद किसानों को बहुत कम लाभ मिल पा रहा है.

उन्होंने कहा कि प्रदेश में गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता एक मुख्य मुद्दा है. खेतों में जरूरत पड़ने पर किसानों को खाद उपलब्ध की जानी चाहिए. सरकार की सूक्ष्म सिंचाई योजना ठीक ढंग से लागू नहीं होने के कारण किसानों को फायदा नहीं पहुंचा सकी है. साथ ही हरियाणा के अगल-अलग क्षेत्रों में मौजूदा पानी के आवंटन को बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने की जरूरत है. डॉ. राम कुमार ने कहा, “सरकारी संस्थान, किसानों को कपास और सरसों जैसी फसलों के अच्छे बीज उपलब्ध कराने में असमर्थ हैं जिसके कारण, किसान निजी कंपनियों के शिकार हो रहे हैं. हरियाणा और पंजाब में ऐसे उदाहरण हैं जहां खराब गुणवत्ता वाले बीजों के कारण किसानों की फसल को भारी नुकसान हुआ है.”

वहीं अंग्रेजी अखबार दैनिक ट्रिब्यून के अनुसार करनाल के 153 किसान, बीमा कंपनियों पर खराब फसलों का मुआवजा नहीं देने के आरोप लगा रहे हैं. वहीं करनाल, कैथल और अंबाला के किसान गन्ने के रेट में बढ़ोतरी की मांग को लेकर प्रदर्शन करते नजर आए. इस तरह प्रदेश के अलग अलग हिस्सों में किसान साल भर अपने मुआवजों को लेकर नेताओं और सरकारी अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगाते रह गए.

मजदूर नेता शिव कुमार को पुलिस ने अवैध रूप से हिरासत में रखकर प्रताड़ित किया, न्यायिक जांच में हुआ खुलासा!

हाई कोर्ट की निगरानी में हुई जांच में हरियाणा पुलिस के अधिकरियों द्वारा मजदूर नेता शिव कुमार को अवैध रूप से पुलिस कस्टडी में रखकर प्रताड़ित करने के आरोप सही पाए गए हैं. जनवरी 2021 में पुलिस द्वारा किए गए अत्याचार में मजदूर नेता शिव कुमार की एक आंख की रोशनी चली गई थी. मेडिकल रिपोर्ट में सामने आया था कि उनके शरीर में कईं जगह फ्रैक्चर था और साथ ही उनके नाखून भी उखाड़े गए थे.

फरीदाबाद के जिला और सत्र न्यायाधीश दीपक गुप्ता द्वारा की गई जांच में पाया गया कि मजदूर अधिकार संगठन के अध्यक्ष शिव कुमार को हरियाणा पुलिस ने किसान आंदोलन के दौरान जनवरी 2021 में सोनीपत में अवैध रूप से एक सप्ताह के लिए अपनी हिरासत में रखा था. जांच में मजदूर नेता पर हुई यातना को दबाने के लिए डॉक्टरों और न्यायिक अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई है. जांच रिपोर्ट के अनुसार अवैध कारावास के दौरान शिव कुमार को “पुलिस द्वारा बुरी तरह से प्रताड़ित किया गया था, जिससे उनके शरीर के विभिन्न हिस्सों पर फ्रैक्चर सहित कई चोटें आई थी”

बता दें कि जबरन वसूली और हत्या के प्रयास के आरोप में शिव कुमार और उनकी साथी कार्यकर्ता नोदीप कौर पर मुकदमा चल रहा है. दोनों मजदूर नेता 2021 में अपने संगठन के बैनर तले सोनीपत के कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में मजदूरों की मजदूरी नहीं मिलने के चलते फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे.

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पिछले साल मजदूर नेता शिव कुमार के पिता राजबीर द्वारा दायर याचिका पर जांच के आदेश दिए थे. वहीं याचिकाकर्ता के वकील हरिंदर बैंस ने बताया कि पुलिस अत्याचार में शिव कुमार ने अपनी आंख की आधी रोशनी खो दी है. उस पर लगातार समझौता करने का दबाव बनाया जा रहा था लेकिन शिव कुमार और उनका परिवार न्याय के लिए डटा रहा. वहीं वकील ने आगे कहा कि हम अगली सुनवाई में एफआईआर दर्ज करने और सीबीआई जांच कराने की मांग करेंगे.

पंचकुला जिला कोर्ट ने इस मामले पर जुलाई में अपनी जांच पूरी की थी और अगस्त में हाई कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी थी. जांच सामने आया कि पुलिस के अपराध को छिपाने के लिए सरकारी डॉक्टरों की मिलीभगत भी थी. हरियाणा के मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र का जवाब नहीं मिला है, जिसमें जांच रिपोर्ट पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी गई थी. वहीं अधिकारियों ने पूछताछ के दौरान किसी तरह की मिलीभगत से इनकार किया है.

रिपोर्ट के अनुसार, “शिव कुमार की 24 जनवरी 2021 से 2 फरवरी 2021 के दौरान पांच बार जांच की गई, लेकिन सरकारी अस्पताल, सोनीपत के किसी भी डॉक्टर या जेल में तैनात डॉक्टर ने पुलिस अधिकारियों के साथ मिलीभगत के चलते अपनी ड्यूटी नहीं निभाई”

बता दें कि हाई कोर्ट के आदेश पर 20 फरवरी, 2021 को चंडीगढ़ में सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की मेडिकल जांच में शिव कुमार के हाथ और पैर में फ्रैक्चर और उनके पैर की अंगुली पर टूटे हुए नाखून की रिपोर्ट जारी की थी. साथ ही रिपोर्ट में शिव कुमार को मानसिक तनाव देने की बात भी सामने आई थी. रिपोर्ट में कुंडली पुलिस स्टेशन के सब-इंस्पेक्टर शमशेर सिंह को यातना के लिए सीधे तौर पर ज़िम्मेदार बताया गया है साथ ही उसी पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर रवि कुमार और क्राइम इन्वेस्टिगेशन एजेंसी सोनीपत के रविंदर को अवैध कारावास और यातना में शामिल होने के लिए नामित किया गया है.

शिव कुमार के अनुसार सोनीपत के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उन्हें देखे बिना ही अवैध कारावास के बाद उनका पुलिस रिमांड दे दिया था. शिवकुमार के वकील बैंस ने कहा, “रिपोर्ट से पता चलता है कि यहां केवल एक अधिकारी द्वारा किसी को प्रताड़ित नहीं किया गया था बल्कि एक मजिस्ट्रेट सहित पूरी व्यवस्था की मिलीभगत थी. हम माननीय उच्च न्यायालय से दोषियों को दंडित करने का एक उदाहरण स्थापित करने के लिए कहेंगे.

मजदूर नेता शिव कुमार ने बताया, “हिरासत के दौरान मेरी दाहिनी आंख में समस्या हो गई थी जिसका इलाज नहीं किया गया था और अब मुझे दाहिनी आंख से दिखाई नहीं देता है. उन्होंने कहा, ‘प्रशासन पर मामले को निपटाने का काफी दबाव है. लेकिन मैं चाहता हूं कि न्याय हो और दोषियों को सजा मिले.”